नई दिल्ली: भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद और गहरा गया है. दरअसल शनिवार को नेपाल की संसद में विशेष सत्र में देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने संबंधित विधेयक को मंजूरी मिल गई. इसके जरिए नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाकों को अपना बताते हुए विवादित नक्शे को संविधान में शामिल कर लिया है. जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल की प्रतिनिधि सभा ने भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को शामिल करने के लिए नेपाल के नक्शे को बदलने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है. हमने इस मामले पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है. नेपाल का दावा ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं है और न ही इसका कोई मतलब है. इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत का भी उल्लंघन हुआ है. नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना बताते हुए संविधान में शामिल किया विवादित नक्शा, भारत से तनाव बढ़ना तय
We have noted that the House of Representatives of Nepal has passed a constitution amendment bill for changing the map of Nepal to include parts of Indian territory. We have already made our position clear on this matter: Ministry of External Affairs pic.twitter.com/jKRXheOCct
— ANI (@ANI) June 13, 2020
नेपाल की संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी जिससे नए नक्शे को मंजूर किये जाने का रास्ता साफ हुआ. विधेयक पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह नक्शा संविधान में शामिल हो जाएगा. नेपाल ने सीमा पर झड़प के दौरान हिरासत में लिए गए भारतीय को छोड़ा
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया. नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है. हालांकि भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए फिर कहा कि यह सड़क पूरी तरह भारत की सीमा में है. (एजेंसी इनपुट के साथ)