IIT गुवाहाटी में कोरोना वायरस से निपटने के लिए बनाई जा रही वैक्सीन, हेस्टर बायोसाइंस भी साथ
कोरोना वायरस से जंग (Photo Credits: Pixabay)

गुवाहाटी: देशभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण के बीच भारतीय वैज्ञानिक इसका टीका (वैक्सीन) विकसित करने में दिन-रात जुटे हुए हैं. इसी क्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी और हेस्टर बायोसाइंस लिमिटेड (Hester Biosciences Ltd) के साथ मिलकर कोविड-19 (COVID-19) के खिलाफ वैक्सीन (Vaccine) विकसित करने के काम में जुटा हुआ है.

आईआईटी गुवाहाटी और हेस्टर बायोसाइंस लिमिटेड ने उम्मीद जताई है कि वैक्सीन को पशुओं पर अध्ययन शुरू करने के लिए साल के अंत तक तैयार कर लिया जाएगा. फिलहाल यह महामारी को हराने वाली वैक्सीन को बनाने का काम अपने प्रारंभिक चरण में है. इस सिलिसले में दोनों संगठनों के बीच एक समझौता भी हुआ है. अमेरिका कोविड-19 संक्रमण की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

हेस्टर बायोसाइंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव गांधी ने कहा, ‘‘ कंपनी और आईआईटी-गुवाहाटी मिलकर कोरोना वायरस बीमारी से लड़ने के लिए एक रीकॉम्बिनेंट टीका विकसित करेंगे. इसका विनिर्माण एक रक्षोपाय के तौर पर किया जाएगा. हेस्टर टीके के विकसित करने के शुरूआती चरण से लेकर इसके वाणिज्यिक स्तर पर जारी होने तक काम करेगी.’’ कब तक आ सकती है कोविड-19 की वैक्सीन?

बताया जा रहा है कि यह वैक्सीन ‘रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस’ आधारित होगी. रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस-1 का उपयोग ‘सार्स-कोव-2’ के एक इम्यूनॉजिक (शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को जगाने वाले) प्रोटीन के तौर पर किया जाएगा. जबकि रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए टीका के रूप में भी किया जाता है. इसके कई प्रकार के सीरम मुख्य तौर पर मुर्गियों और अन्य जानवरों में फ्लू को फैलने से रोकने का काम करते है. (एजेंसी इनपुट के साथ)