कोविड19 के खिलाफ लड़ाई में सीरोसर्वे (Serosurvey) काफी चर्चा में है। हर किसी के मन में इसे लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं, कि आखिर ये सर्वे क्या है? दरअसल सीरोसर्वे एक प्रकार का सर्वेक्षण है, जिसमें संक्रमण के प्रसार की गति की निगरानी की जाती है. यानी यह देखा जाता है कि किसी विशेष इलाके में संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है. साथ ही, वायरस फैलने के तरीके का मूल्यांकन किया जाता है. आपको बता दें कि वर्तमान में देश में कई स्थानों पर सीरोसर्वे चल रहा है. इसके अलावा एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण भी चल रहा है.
क्या है सीरोसर्वे:
वायरस से संक्रमण के दौरान किसी स्थान पर लोगों के एक समूह के ब्लड सीरम के जरिए उनके शरीर में एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगा सीरोसर्वे कहलाता है. इससे पहले खसरा, रूबेला, पोलियो आदि पर सीरोसर्वे किया जा चुका है. इसका उद्देश्य टीकाकरण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता की जांच करना है. उसी तरह COVID 19 के लिए सीरोसर्वे वायरस के प्रसार के तरीके का मूल्यांकन करने में मदद करता है.
भारत में कैसे हो रहा सीरोसर्वे:
सरकार द्वारा 10 हॉटस्पॉट शहरों में सीरोसर्वे शुरू किया जा चुका है, जिसमें मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, दिल्ली, आदि शामिल हैं. असल में सीरोसर्वे उन शहरों में कराया जा रहा है, जहां कोविड 19 के सामुदायिक संक्रमण का अनुमान लगाया जा रहा है. इन शहरों में भारत के कुल संक्रमित केस का लगभग 70% योगदान है.
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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) 10 शहरों में SARS CoV 2 के खिलाफ एंटीबॉडी की उपस्थिति के लिए हर शहर में 500 नमूनों का परीक्षण करेगा. कुल 5,000 नमूनों की जांच की जाएगी। सीरोसर्वे सर्वेक्षण में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा विकसित एंटीबॉडी परीक्षण किट का उपयोग किया जाएगा. सर्वेक्षण में शामिल होने वाले शहरों में मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, ठाणे, जयपुर, चेन्नई और सूरत शामिल हैं. यह सर्विलांस अभ्यास जो कि 21 राज्यों में 69 जिलों के लगभग 24,000 रक्त सीरम नमूनों का परीक्षण के अतिरिक्त होगा.
वर्तमान में जो 21 राज्यों में 69 जिलों में सेरोसेर्वे चल रहा है, यह आईसीएमआर द्वारा कराया जा रहा ह.। यह जिला स्तर पर सामुदायिक संक्रमण के प्रसार की गति पर नजर रखने के लिए एक जनसंख्या-आधारित सर्वे है।. इसमें आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिले शामिल हैं.
इन दो सर्वेक्षणों के अलावा, सरकार ने सभी 733 जिलों में एक स्वास्थ्य सुविधा-आधारित निगरानी की भी योजना बनाई है, जिसमें सरकारी और निजी अस्पतालों के स्वास्थ्य वर्करों और आउटडोर रोगियों के 400 नमूनों को लेकर RTPCR और एंटीबॉडी परीक्षण दोनों का उपयोग करके परीक्षण किया जाएगा.
आईसीएमआरआर के वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने कहा कि हमारे पास कोरोना संदिग्ध रोगियों के परीक्षण की बहुत बड़ी क्षमता है. हम हर उस व्यक्ति का परीक्षण कर रहे हैं जो जांच के लिए आ रहा हैं. उन सभी लोगों को आगे आना चाहिए और परीक्षण करवाना चाहिए, जिनमें कोई लक्षण या कोई संदेह है।. उन्होंने कहा कि हमने एक राष्ट्रीय स्तर का सीरोसर्वे सर्वेक्षण शुरू किया है, यह पता लगाने के लिए कि समाज में कितने लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.
गंगाखेडकर ने आगे कहा, "हम मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत बायोटेक के साथ मिलकर एक वैक्सीन विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके आलावा टीके विकसित करने की दो और पहल आईसीएमआर की ओर से की गई हैं."
अन्य देशों में सीरोसर्वे:
अमेरिका, नीदरलैंड्स, डेनमार्क और जर्मनी सहित कई देशों में सीरोसर्वे किया जा रहा है. शोध से पता चलता है कि वायरस ने अभी तक स्क्रीन की गई आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमित नहीं किया है.
अमेरिका में 10 हजार वयस्कों के ब्लड सैंपल लिए गए, जिनमें SARS-CoV-2 का कभी संक्रमण नहीं हुआ है. उनका विश्लेषण दो प्रकार के एंटीबॉडी- SARS-CoV-2 प्रोटीन IgG और IgM के लिए किया जाएगा. इसके अतिरिक्त, शोधकर्ता वायरस के प्रति वॉलंटियर्स की इम्यूनिटी प्रतिक्रियाओं का भी मूल्यांकन करेंगे.
जर्मनी में तीन तरह का अध्ययन किया गया, जिसमें डोनेशन केंद्रों से ब्लड लेकर सीरोलॉजिकल परीक्षण तक के तरीके हैं. इसके बाद कोरोनावायरस क्षेत्रीय हॉटस्पॉट से ब्लड के सैंपल का परीक्षण किया जाता है और फिर देश की व्यापक आबादी का संचालन रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट द्वारा किया जाएगा, जो देश की रोग नियंत्रण और रोकथाम है. Eurorona ope का पहला बड़े पैमाने पर COVID-19 एंटीबॉडी परीक्षण हो.
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जर्मनी में एक तीन चरण के अध्ययन में दान केंद्रों से रक्त पर सीरोलॉजिकल परीक्षण शामिल है, इसके बाद कोरोना वायरस क्षेत्रीय हॉटस्पॉट से रक्त के नमूनों का परीक्षण किया जाता है और फिर देश की व्यापक आबादी का संचालन रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट द्वारा किया जाएगा, जो देश की रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी यूरोरा की पहली बड़े पैमाने पर COVID-19 एंटीबॉडी परीक्षण होगी.