सीएम योगी आदित्यनाथ ने अनुसूचित जाति मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना में बदलाव के लिए पीएम मोदी का जताया आभार
PM नरेंद्र मोदी और CM योगी आदित्यानाथ (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: देश के करोड़ों अनुसूचित जाति (Scheduled Castes) से संबंधित छात्रों को बड़ी सौगात देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एससी मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना में बदलाव की मंजूरी दे दी है. पीएम मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 59,048 करोड़ रुपये के कुल निवेश को अनुमोदन प्रदान किया है जिसमें से केंद्र सरकार 35,534 करोड़ रुपये (60 प्रतिशत) खर्च करेगी और शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाएगी. केंद्र सरकार की इस पहल का उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने स्वागत किया है और पीएम मोदी का आभार जताया है. मोदी सरकार ने एससी मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना में बदलाव को मंजूरी दी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा “वंचितों व युवाओं के उत्थान हेतु प्रतिबद्ध आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी की अध्यक्षता में कैबिनेट द्वारा मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति योजना की राशि बढ़ाकर 59,000 करोड़ रुपये कर दी गई है. यह है 'अंत्योदय'...” उन्होंने आगे कहा “इससे SC/ST वर्ग के 4 करोड़ छात्रों की उच्च शिक्षा अर्जित करने की राह और अधिक आसान होगी. धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!”

केंद्रीय सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने बताया कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने बुधवार को अगले 5 वर्षों में 4 करोड़ से अधिक अनुसूचित जाति के छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए "अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति (पीएमएस-एससी)" की केंद्र प्रायोजित स्कीम बड़े और रूपांतरात्मक परिवर्तनों के साथ अनुमोदित की है ताकि वे अपनी उच्चतर शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें. यह स्कीम मौजूदा "प्रतिबद्ध देयता" प्रणाली को प्रतिस्थापित करेगी और इस महत्वपूर्ण स्कीम में केंद्र सरकार की भागीदारी अधिक होगी.

इस योजना से अनुसूचित जाति के छात्रों को कक्षा 11 वीं से शुरू होने वाले मैट्रिकके बाद के किसी भी पाठ्यक्रम को जारी रखने में मदद मिली है. इस योजना में सरकार शिक्षा की लागत का वहन करती है. केंद्र सरकार इन प्रयासों को और अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि 5 वर्ष की अवधि के भीतर अनुसूचित जातियों का जीईआर (उच्चतर शिक्षा) राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सके.