सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा तारा, इस साल यह एक बड़े बदलाव से गुजरने वाला है. सूर्य के चुंबकीय ध्रुव अपनी जगह बदल लेंगे. ये घटना हर 11 साल के आसपास होती है और आखिरी बार 2013 में हुई थी. इस साल भी अप्रैल से अगस्त के बीच ऐसा होने का अनुमान है.
हालांकि सुनने में ये भले ही डरावना लगे, लेकिन सूर्य के ध्रुवों का बदलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. ये उसी तरह से होता है जैसे कोई चीज घूमकर वापस अपनी जगह आ जाती है. लेकिन आखिर सूर्य अपने ध्रुव क्यों बदलता है?
सूर्य अपने ध्रुव क्यों बदलता है?
पृथ्वी सहित कई तारों और ग्रहों में चुंबकीय क्षेत्र होता है. ये क्षेत्र स्थिर नहीं रहते, बल्कि सूर्य के चक्र के साथ बदलते रहते हैं. सूर्य बहुत गर्म गैसों का विशाल गोला है, जिनमें लगातार हलचल होती रहती है. यही हलचल सूर्य के अंदर विद्युत धारा भी बनाती है. नासा के अनुसार, ये विद्युत धारा ही सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र को जन्म देती है. वैज्ञानिक इसे "डायनेमो" कहते हैं.
नासा का कहना है कि हर करीब 10 साल के सूर्य चक्र के चरम पर ये "डायनेमो" खुद को दोबारा व्यवस्थित कर लेता है. इस दौरान सूर्य के ध्रुवों का चुंबकत्व कमजोर होता है, फिर खत्म हो जाता है, और फिर उलटी दिशा में वापस बन जाता है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के सूर्य वैज्ञानिक फिल शेरेर ने नासा को बताया कि ये सूर्य चक्र का एक सामान्य हिस्सा है.
सूर्य के ध्रुव हर 11 साल बदलते हैं, जबकि पृथ्वी के ध्रुवों को बदलने में हजारों साल लग जाते हैं. पृथ्वी का उत्तरी चुंबकीय ध्रुव हर 10 हजार साल में दक्षिणी बन जाता है और दक्षिणी ध्रुव बदलकर उत्तरी ध्रुव बन जाता है.
क्या सूर्य के ध्रुव बदलने से कोई खतरा है?
"अर्थ स्काई" के अनुसार, सूर्य के ध्रुव बदलने से तूफान ज्यादा तीव्र हो सकते हैं. इन तूफानों से अंतरिक्ष में उपग्रह, संचार और जीपीएस (GPS) बाधित हो सकते हैं, और पृथ्वी पर बिजली का तंत्र भी कुछ समय के लिए काम करना बंद कर सकता है.
लेकिन अच्छी खबर ये है कि इससे निचले अक्षांशों में भी उत्तरीय ध्रुव प्रकाश देखने को मिल सकता है. आम तौर पर उत्तरीय ध्रुव प्रकाश 60 से 75 डिग्री अक्षांश के बीच दिखाई देता है, लेकिन 2013 में हुए पिछले ध्रुव बदलाव के दौरान 50 डिग्री से भी नीचे तीव्र उत्तरीय धruv प्रकाश देखे गए थे. जानकारों के अनुसार ये प्रकाश इतने चमकीले और लाल रंग के थे कि उनके नीचे अखबार भी पढ़ा जा सकता था.
सूर्य के ध्रुव बदलने के बाद क्या होगा?
2024 में सूर्य अपने चुंबकीय ध्रुवों को बदलेगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि दुनिया खत्म हो जाएगी! वैसे तो इससे कुछ दिक्कतें जरूर हो सकती हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है.
सूर्य के ध्रुव बदलने से तेज धूप के तूफान आ सकते हैं। ये तूफान पृथ्वी के चुंबकीय सुरक्षा कवच को कमजोर कर सकते हैं. कॉलोराडो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर बोल्टन डेलोरेस निप्प के अनुसार इससे पृथ्वी के वातावरण में ज्यादा ऊर्जा और पदार्थ घुस सकते हैं, जिससे कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
इन समस्याओं में क्या शामिल हो सकता है?
- अंतरिक्ष यात्रियों को परेशानी हो सकती है.
- पृथ्वी पर बिजली का तंत्र बाधित हो सकता है, जिससे कई चीजें बंद हो सकती हैं.
- उपग्रह और संचार व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है.
लेकिन अच्छी खबर ये है कि इन तूफानों के कारण कुछ खूबसूरत नजारे भी देखने को मिल सकते हैं. संभव है कि निचले इलाकों में भी अरोरा देखने को मिले, जो आम तौर पर सिर्फ पृथ्वी के उत्तरी छोर पर दिखाई देता है.
घबराने की जरूरत नहीं!
अमेरिका की राष्ट्रीय सौर वेधशाला का कहना है कि सूर्य के ध्रुवों का बदलना एक सामान्य प्रक्रिया है. ये सूर्य के ठीक से काम करने का ही संकेत है. वैज्ञानिक इस घटना के लिए तैयार हैं और जरूरी कदम उठाएंगे ताकि किसी भी तरह की बड़ी समस्या का सामना न करना पड़े.