देश की पुकार! सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए विदेशों से लौटेंगे भारतीय इंजीनियर, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लहराएगा तिरंगा
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इलेक्ट्रॉनिक्स के बाद अब भारत सरकार का जोर देश को सेमीकंडक्टर हब बनाने पर है. विदेशी सेमीकंडक्टर कंपनियों को देश में आकर्षित करने के लिए सरकार ने 10 अरब डॉलर के इन्सेंटिव का ऐलान किया है. सरकार को उम्मीद है कि एशिया और अमरीका में काम कर रहे हजारों भारतीय सेमीकंडक्टर इंजीनियर स्वदेश लौट आएंगे और देश की नई हाईटेक क्रांति में भागीदारी करेंगे.

भारत सरकार को उम्मीद है कि दक्षिण पूर्व एशिया और अमेरिका में काम कर रहे सैकड़ों-हजारों भारतीय इंजीनियर देश में सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र में हो रही क्रांति में शामिल होने के लिए वापस लौटेंगे.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, "वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर निर्माण उद्योगों में लगभग 20-25% वरिष्ठ प्रतिभाएं भारतीय हैं. हमें उम्मीद है कि उनमें से कई भारत वापस आएंगे." इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अमेरिका से लौटने का फैसला करने वाले इंजीनियर युवा हैं, जबकि दक्षिण पूर्व एशिया से लौटने वाले इंजीनियर अधिक अनुभवी हैं.

भारत में बहुत जल्द मल्टी-बिलियन डॉलर यानी अरबों रुपये की लागत से तीन सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट्स लगेंगे. सेमीकंडक्टर के तीन प्लांट में से दो प्लांट गुजरात के धोलेरा और साणंद में और एक सेमीकंडक्टर प्लांट असम के मोरीगांव में खोले जाने है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में 1.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वाली तीन सेमीकंडक्टर संयंत्रों की आधारशिला रख दी है.

भारत सरकार सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है और इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं. यही कारण है कि विदेशों में काम कर रहे भारतीय इंजीनियरों को भारत लौटने का आकर्षण बढ़ रहा है.

सरकार की योजना सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की है और इसके लिए वह विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रही है. भारतीय इंजीनियरों की वापसी से देश के सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और भारत इस क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सकेगा.