Gabru Gang Review: खेल विषय हमेशा से ही दर्शकों का पसंदीदा रहा है और कई फिल्मे बहुत बड़ी ब्लॉकबस्टर भी साबित हुई हैं. अब इसी विषय पर एक और फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है, जिसका नाम है 'गबरू गैंग'. पर यह फिल्म क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बॉक्सिंग, बैडमिंटन, दौड़ पर बेस्ड नहीं है. यह फिल्म इनसे हटकर पतंगबाजी पर आधारित है. जोकि कल यानी 26 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म में अभिषेक दुहान लीड रोल में नजर आए हैं, जो इससे पहले 'मंडली', 'पटाखा', 'वीरे की वेडिंग' और 'सुल्तान' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ चुके हैं. Lahore 1947: प्रीति जिंटा की लंबे वक्त के बाद बड़े पर्दे पर वापसी, एक्ट्रेस ने 'लाहौर 1947' की शूटिंग की शुरु (View Pic)
फिल्म की कहानी है 8 साल के राजबीर सलूजा (अभिषेक दुहान) की जो अपने दोस्तों अरशद और उदय के साथ मिलकर पतंगबाजी की दुनिया में धूम मचा देता है. 1999 में 'हाई-फ्लाई' प्रतियोगिता जीतकर वे पंजाब में नंबर 1 बन जाते हैं और 'गबरू गैंग' के नाम से मशहूर होते हैं. लेकिन 2011 में राजबीर की किस्मत बदल जाती है. 'दिल्ली शहजादे' टीम के हैरी से फाइनल में हारने के बाद, राजबीर का ध्यान खेल से हटकर प्यार की तरफ चला जाता है. अंतिम दौर में एक लड़की की वजह से उसका ध्यान भटकता है और हार का सामना करना पड़ता है.
इस हार के बाद राजबीर और उदय के बीच लड़ाई होती है और राजबीर 'गबरू गैंग' छोड़कर खेल से दूर हो जाता है. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. 2019 में 'हाई-फ्लाई' प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाती है और 29 राज्यों की 29 टीमें इसमें भाग लेने के लिए तैयार हैं. राजबीर को एक बार फिर से पतंग उड़ाने के लिए मजबूर होना पड़ता है और 'गबरू गैंग' को फिर से एकजुट करना पड़ता है. पंजाब का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्हें पहले स्थानीय टीमों को हराना होगा और फिर फाइनल में हैरी से बदला लेना होगा.
देखें गबरू गैंग का ट्रेलर:
अभिषेक दुहान ने अपनी एक्टिंग से फिल्म में जान डाल दी है. उन्होंने पतंगबाजी को एक नया आयाम दे दिया है. इसी के साथ सृष्टि रोडे, अवतार गिल, आरती पुरी, अभिलाष कुमार, मुकेश भट्ट, कंवलप्रीत सिंह, ब्रजेश तिवारी ने भी अपने अपने किरदार ईमानदारी के साथ निभाए हैं.
फिल्म की सबसे खास बात इसका रोचक प्लॉट है, जिसमे ड्रामा है, टर्न ट्विस्ट है, बेहतरीन म्युजिक है, अमर मोहिले का जानदार बैकग्राउंड स्कोर है, कलाकारो की नेचुरल एक्टिंग है और कुछ प्रभावी संवाद हैं जो आपको सीट से बांधकर रखने के लिए काफी हैं. हालांकि फिल्म में कुछ खामियां भी हैं जैसे कि सिनमेटोग्राफी, एटिडिंग और डबिंग को और भी बेहतर किया जा सकता था. बावजूद इसके समीर खान द्वारा डायरेक्टेड यह फिल्म दर्शकों को निराश नहीं करेगी और एक नई प्रेरणा देगी. इसे आप अपने परिवार के साथ देख सकते हैं.