मंगलवार को सिंगापुर एयरलाइंस के एक विमान ने तीन मिनट में 6,000 फुट का गोता लगा दिया. इससे विमान में इतनी खतरनाक हलचल हुई कि एक व्यक्ति की मौत हो गई. एयर टर्बुलेंस कई बार जानलेवा भी साबित हुआ.सिंगापुर एयरलाइंस के एक विमान में मंगलवार को इतना खतरनाक टर्बुलेंस हुआ कि एक व्यक्ति की जान चली गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए. 73 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक की जान किस वजह से गई, इस बारे में अभी जांच की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि हो सकता है, उस यात्री की जान हृदय गति रुक जाने से हुई हो, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है.
इस घटना के बाद एक बार फिर एयर टर्बुलेंस को लेकर चिंताएं सामने आ गई हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि यात्रियों और विमान के चालक दल के लिए ये घटनाएं काफी खतरनाक हो सकती हैं. हालांकि टर्बुलेंस के दौरान किसी की जान जाने के मामले बहुत ज्यादा नहीं हैं. लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं इसलिए अतिरिक्त सावधानी और सुरक्षा उपाय जरूरी हो गए हैं.
टर्बुलेंस की अब तक हुई घटनाओं में से अधिकतर मामूली हुई हैं लेकिन विमानन कंपनियों ने दुर्घटनाओं को रोकने और कम करने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं. फिर भी विशेषज्ञ कहते हैं कि यात्रियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए.
क्या होता है टर्बुलेंस?
टर्बुलेंस असल में एक अस्थिर हवा होती है जिसकी गति और भार का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. अधितकतर लोग समझते हैं कि ऐसा खराब मौसम या तूफान आदि में ही होता है लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक टर्बुलेंस तब होता है जब मौसम साफ हो और सामने आसमान में किसी तरह का खतरा या संकेत नजर ना आ रहा हो.
साफ हवा में टर्बुलेंस अक्सर अधिक ऊंचाई पर मौजूद हवा की धाराओं में होता है, जिन्हें जेट स्ट्रीम कहते हैं. ऐसा तब होता है जब हवा की दो धाराएं एक दूसरे के आस-पास अलग-अलग रफ्तार से बहती हैं. अगर रफ्तार में अंतर बहुत ज्यादा हो तो वातावरण इसका दबाव संभाल नहीं पाता और हवा की धाराएं दो हिस्सों में बंट जाती हैं.
फ्लोरिडा की एंब्रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में अप्लाइड एविएशन साइंस डिपार्टमेंट के प्रमुख थॉमस गिन कहते हैं, "जब जेट स्ट्रीम के आसपास हवा तेजी से कटती है तो हवा की मात्रा बढ़ सकती है. इससे हवा में भारी उथल पुथल मचती है.”
टर्बुलेंस और विमान दुर्घटनाएं
इसका कोई आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है कि टर्बुलेंस के कारण दुनिया में कितने यात्री प्रभावित हुए हैं लेकिन कुछ देश अपने यहां इस तरह की घटनाओं के आंकड़े प्रकाशित करते रहते हैं.
नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के मुताबिक अमेरिका में 2009 से 2022 के बीच टर्बुलेंस के कारण 163 लोग इतने ज्यादा घायल हुए थे कि उन्हें कम से कम दो दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा. इनमें से अधिकतर चालक दल के सदस्य थे. चालक दल के सदस्यों को चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वे उड़ान के दौरान अपनी सीटों पर पेटी बांधकर नहीं बैठे होते.
जलवायु परिवर्तन का असर
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी टर्बुलेंस के मामलों में वृद्धि हो सकती है. पिछले साल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में छपे एक शोध पत्र में ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि साफ हवा में होने वाले टर्बुलेंस के मामले बीते दशकों में खासे बढ़ गए हैं.
अपने शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि नॉर्थ अटलांटिक विमान मार्ग पर 1979 से 2020 के बीच मामले 55 फीसदी बढ़ गए. वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहा है क्योंकि ऊंचाई पर हवा गर्म हो गई है जिस कारण उसकी रफ्तार बदल गई है.
इसी टीम ने दो साल पहले एक अध्ययन में कहा था कि जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले सालों में क्लीन एयर टर्बुलेंस (कैट) के मामलों में 149 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)