BJP सांसद की मांग- तिरपाल में रामलला को लगती है ठंड, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले घर
रामलला (Photo Credits: Twitter)

लखनऊ: अयोध्या (Ayodhya) की विवादित भूमि पर सुप्रीम कोर्ट चार जनवरी को सुनवाई करने वाला है. लेकिन इससे पहले राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि के मालिकाना हक को लेकर बीजेपी सांसद ने विवादित बयान दिया है. बीजेपी सांसद हरिनारायण राजभर (Harinarayan Rajbhar) ने कहा है कि तिरपाल में रामलला को ठंड लगती है. इसलिए प्रधानमंत्री आवास के तहत घर बनवाया जाए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह से कारसेवा करके विवादित ढांचा गिराया गया था ठीक उसी तरह से राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए.

उत्तर प्रदेश की घोसी लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने बीजेपी के हरिनारायण राजभर ने कहा कि मोदी सरकार की मंशा है कि कोई बिना छत के ना रहे. प्रभु श्रीराम तिरपाल में हैं, उन्हें ठंड लगती है, बारिश में भीगते हैं, इसलिए उनको प्रधानमंत्री आवास के तहत घर मिलना चाहिए.

आगे उन्होंने यह भी कहा कि वह फैजाबाद के कलेक्टर को पत्र लिखकर कहेंगे कि रामलला को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराया जाए. यह भी पढ़े- अयोध्या में विवादित जगह पर नमाज पढ़ने की याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज, याचिकाकर्ता पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

अध्यादेश पारित होने पर जाएंगे SC-

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (बीएमएसी) ने फैसला किया है कि अगर मोदी सरकार अयोध्या की विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण बनाने के लिए अध्यादेश लाती है तो वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी. दरअसल बीएमएसी बीजेपी की तीन राज्यों में चुनावी हार, मंदिर मुद्दे को लेकर पैदा किया जा रहा जुनून व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित वरिष्ठ बीजेपी नेताओं की मंदिर के समर्थन में बयानबाजी को हल्के में नहीं लेना चाहती.

गौरतलब हो कि केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) सहित दक्षिणपंथी समूह मंदिर बनवाने के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बना रहे हैं, जबकि विपक्ष विवादास्पद मुद्दे पर अदालत के फैसले की प्रतीक्षा करने के लिए कह रहा है.

14 याचिकाओं पर होगी सुनवाई-

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ चार जनवरी को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर सकती है. शीर्ष न्यायालय में वर्ष 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 14 अपील दायर की गई है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में सुनाया था कि 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर से बांटा जाए.