‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ के बाद अब आई ‘टेस्ट ट्यूब बछड़ा’
टेस्ट ट्यूब बछड़ा (Photo Credits: Twitter/DDNewsUP)

अब तक आपने ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ के बारे में ही सुना और जाना होगा लेकिन अब बछड़ा टेस्ट ट्यूब आ गई है जिसकी मदद से दुधारु पशुओं में उन्नत नस्ल के बछड़े पैदा किए जा सकेंगे. जी हां, इन विट्रो फर्टीलाइजेशन यानी आईवीएफ की इस तकनीक को जाने-माने पशु वैज्ञानिक डॉक्टर श्याम झा ने इजाद किया है. डॉक्टर श्याम ब्राजील से प्रशिक्षण लेकर आए हैं. आईवीएफ की मदद से उन्हीं गायों पर सरोगेसी का इस्तेमाल कर देशभर में 200 से अधिक बछड़े पैदा किए जा सकते हैं. तकनीक के बारे में देशवासियों से जानकारी साझा करने के लिए केंद्रीय पशु पालन, डेयरी और मतस्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह के आवास पर मोबाइल काफ एम्बियो ट्रांसफर एंड इन विट्रो फर्टीलाइजेशन लैब का प्रदर्शन किया गया.

आईवीएफ तकनीक से साल में पैदा हो सकते हैं 25 से 30 बछड़े:

इस तकनीक के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक दुधारु पशु से एक बछड़ा साल में पैदा होता है लेकिन आईवीएफ तकनीक से साल में 25 से 30 बछड़े पैदा किए जा सकते हैं. देश में पशु धन के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए केंद्र सरकार उन्नत नस्ल सुधार कार्यक्रम चला रही है. सरकार के इस वीज़न को संकल्पित और साकार करने के लिए पशु धन वैज्ञानिकों ने आईवीएफ तकनीक से बछड़ा टेस्ट ट्यूब तैयार करने में महारथ हासिल की है. इस तकनीक से दुधारु पशुओं में साल में 25 से 30 बछड़े पैदा किये जा सकते हैं.

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देशभर में 30 स्थानों पर होगी आईवीएफ लैब स्थापित:

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि इस तकनीक का फायदा देश के पशुपालकों को मिले इसके लिए देशभर में 30 स्थानों पर इस तरह की लैब स्थापित की जाएगी. जे.के ट्रस्ट के निदेशक राजेश पटेल ने बताया कि बीते कई साल से वे आईवीएफ तकनीक पर काम कर रहे हैं. आईवीएफ से 15 माह में एक गाय से 100 बछड़े तक पैदा किए जा सकते हैं.

स्वदेशी गौ संवर्धन को मिल रहा है देश में बढ़ावा:

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह देश में दुधारु पशुओं में उन्नत नस्ल सुधार कर पशु धन क्रांति लाने की दिशा में काम कर रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर श्याम झा को और उनके संगठन के द्वारा देश के दस से भी अधिक राज्यों में 43 से भी अधिक स्थानों पर दी जा रही आईवीएफ सेवाओं से न केवल देश में स्वदेशी गौ संवर्धन को गति मिलेगी बल्कि केंद्र सरकार के पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सहयोग भी मिलेगा. यह कदम किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त और मजबूत बनाने में भी सहयोगी साबित होगा.