साइबर क्राइम : 8,700 से ज्यादा व्यापारियों ने मिलकर ऐसे लगाया 262 करोड़ रुपये का चूना
प्रतीकात्मक फोटो (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के व्यापार एवं कर विभाग ने कुल 262 करोड़ रुपये की साइबर-कर धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि यह धोखाधड़ी 2013 से चल रही थी, जिसमें 8,700 से ज्यादा व्यापारी संलिप्त थे. सिसोदिया ने मीडिया से कहा कि 8,758 व्यापारी इस धोखाधड़ी का हिस्सा थे. इस धोखाधड़ी में उन्होंने बैंकों व सरकार दोनों के आईडी व पासवर्ड हैक कर लिए और दिखाया कि उन्होंने कर का भुगतान किया था, जबकि वास्तव में उन्होंने ऐसा नहीं किया था.

उन्होंने कहा, "सरकार को 27 बैंकों के माध्यम से कर का भुगतान किया जाता है, जिसमें से 13 बैंकों की आईडी को धोखाधड़ी के लिए हैक कर लिया गया था. यह धोखाधड़ी कम से कम 262 करोड़ रुपये की है." सिसोदिया ने कहा, "यह जानकारी प्रारंभिक जांच पर आधारित है."

दिल्ली के वैट/जीएसटी आयुक्त एच. राजेश प्रसाद द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, "कुछ लोगों ने बैंकिंग के माध्यम से भुगतान का दावा किया था, जो कि वास्तव में सरकार के खजाने में जमा ही नहीं हुआ." उन्होंने कहा, "जांच के दौरान पाया गया कि इस तरह की धोखाधड़ी 30 सितंबर, 2013 से चल रही थी." प्रसाद ने कहा, "30 सितंबर, 2013 से 26 सितंबर, 2018 के बीच कुल 8,758 व्यापारियों की पहचान की गई, जिन्होंने 2,62,62,73,327 रुपये की राशि के 31,027 लेनदेन किए थे."

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उन्होंने कहा, "विभाग द्वारा प्रारंभिक जांच से पता चला है कि ऐसे व्यापारियों ने सरकारी खजाने में घोटाले और धोखाधड़ी के लिए आपराधिक षड्यंत्र रचे थे." प्रसाद ने कहा, "सभी उपलब्ध विवरणों के साथ इस संबंध में एफआईआर दर्ज करने और मामले की पूर्ण जांच के लिए डीसीपी ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा), दिल्ली पुलिस को एक शिकायत भेजी गई है."

सिसोदिया ने कहा कि अधिकारियों को विभाग के साथ पंजीकृत व्यापारियों द्वारा भुगतान के क्रेडिट के सत्यापन के दौरान तीन महीने पहले धोखाधड़ी की भनक लगी थी. उसके बाद से अधिकारी हाई-अलर्ट पर थे. उन्होंने कहा, "आप सरकार भ्रष्टाचार के किसी भी कृत्य में जीरो टोलरेंस में विश्वास रखती है.