वाराणसी, 29 दिसंबर : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित ‘काशी तमिल संगमम्’ में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों को गंगा के तट पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों, मंदिरों के दर्शन और अकादमिक संवादों के जरिये तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों के बारे में जानने का मौका मिला. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित द्वितीय ‘काशी-तमिल संगमम्’ की शुरुआत 17 दिसंबर को हुई थी और यह शनिवार को संपन्न होगा. ‘काशी तमिल संगमम’ के दूसरे संस्करण के दौरान तमिलनाडु और पुडुचेरी के 1,400 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
लेखकों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल तमिलनाडु के रसायन शास्त्र के शिक्षक सतीश राज ने कहा, ‘‘काशी और प्रयागराज में घाटों और मंदिरों की यात्रा. यह एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव रहा है। तमिलनाडु के लोगों के लिए प्रत्येक स्थान का बहुत बड़ा महत्व है और संस्कृतियों का संगम कोई नई बात नहीं है.’’ प्रतिनिधियों को देश की सात प्रमुख नदियों के नाम पर समूहों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक में 200 सदस्य शामिल हैं. इनमें छात्रों के समूह को ‘गंगा’ नाम दिया गया है जबकि शिक्षकों के समूह को ‘यमुना’, पेशेवरों के समूह को ‘गोदावरी’, आध्यात्मिक समूह को ‘सरस्वती’, किसानों और दस्तकारों के समूह को ‘नर्मदा’, लेखकों के समूह को ‘सिंधु’ और व्यवसायियों के समूह को ‘कावेरी’ नाम दिया गया है.
राज ने कहा कि यहां नमो घाट पर शैक्षणिक सत्र उनके लिए सबसे दिलचस्प था. काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी के. वेंकट रमण गणपति ने कहा कि प्रतिनिधियों ने क्षेत्रों के व्यंजनों, जीवनशैली और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखा और इनका अनुभव किया. उन्होंने कहा, ‘‘अब तक पांच प्रतिनिधि समूह काशी का दौरा कर चुके हैं.’’ अधिकारियों के अनुसार संगमम् में भाग लेने के लिए आठ दिसंबर तक 42 हजार से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 1,400 लोगों का चयन एक समिति द्वारा किया गया था.
एक अन्य प्रतिनिधि राज चेन्ना ने कहा कि वह यात्रा के अंतिम चरण को लेकर उत्साहित हैं जोकि अयोध्या है. उन्होंने कहा, ‘‘राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में अब एक महीने से भी कम का समय बचा है। मैं अयोध्या जाने के लिए उत्सुक हूं. उद्घाटन के बाद मैं निश्चित रूप से दोबारा वापस आऊंगा.’’ अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन समारोह 22 जनवरी को होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें शामिल होंगे.
नमो घाट पर हथकरघा, हस्तशिल्प और व्यंजनों का प्रदर्शन करने वाली स्टॉल ने प्रतिनिधियों को तमिलनाडु और काशी की कला और संस्कृति के समृद्ध पहलुओं की जानकारी दी. ‘काशी तमिल संगमम’ के दूसरे संस्करण में साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, अध्यात्म, संगीत, नृत्य, नाटक, योग और आयुर्वेद पर व्याख्यान हुए. इसके अतिरिक्त नवाचार, व्यापार, ज्ञान विनिमय, शिक्षा तकनीक और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी पर संगोष्ठी हुई. पहला संस्करण पिछले साल आयोजित हुआ था जो एक महीने तक चला था और इसमें तमिलनाडु के 2,500 से अधिक लोगों ने भाग लिया था.
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