जगदीप धनखड़ ने अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस खारिज किया, कहा- कोई उल्लंघन नहीं हुआ

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया. शाह ने अपने बयान को प्रमाणित करने के लिए 1948 की एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया था कि कांग्रेस के एक नेता प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के प्रबंधन का हिस्सा थे.

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जगदीप धनखड़ ने अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस खारिज किया, कहा- कोई उल्लंघन नहीं हुआ

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया. शाह ने अपने बयान को प्रमाणित करने के लिए 1948 की एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया था कि कांग्रेस के एक नेता प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के प्रबंधन का हिस्सा थे.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
जगदीप धनखड़ ने अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस खारिज किया, कहा- कोई उल्लंघन नहीं हुआ
(Photo Credits ANI)

नयी दिल्ली, 27 मार्च : राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया. शाह ने अपने बयान को प्रमाणित करने के लिए 1948 की एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया था कि कांग्रेस के एक नेता प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के प्रबंधन का हिस्सा थे. धनखड़ ने विशेषाधिकार हनन नोटिस को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मैंने इसे ध्यानपूर्वक पढ़ा है. मुझे लगता है कि इसमें कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.’’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के विशेषाधिकार हनन नोटिस पर अपनी व्यवस्था में धनखड़ ने कहा कि शाह ने कोई ‘‘उल्लंघन’’ नहीं किया है और इस सप्ताह की शुरुआत में एक बहस के दौरान उनके बयान ‘‘सत्य का पूर्ण अनुपालन’’ कर रहे थे. सभापति ने आगे कहा कि मीडिया में चर्चा पाने के लिए विशेषाधिकार हनन का जल्दबाजी में हवाला दिया गया.

साथ ही सभापति ने सदन की आचार समिति से कहा कि वह आसन के साथ संवाद जारी करने या नोटिस जारी करने जैसे मुद्दों पर सांसदों के आचरण पर नए दिशा-निर्देश बनाए. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी पर ‘‘आक्षेप लगाने’’ का आरोप लगाते हुए शाह के खिलाफ नोटिस दिया था. धनखड़ ने कहा कि शाह ने 25 मार्च को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन विधेयक, 2024 पर हुई बहस का जवाब देते हुए कुछ टिप्पणियां करने के बाद अपने बयान को प्रमाणित करने पर सहमति व्यक्त की थी. उन्होंने कहा कि मंत्री ने 24 जनवरी, 1948 को भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा जारी एक प्रेस बयान का हवाला दिया, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पीएमएनआरएफ (प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष) शुरू करने की घोषणा की थी. इसका प्रबंधन प्रधानमंत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष और कुछ अन्य लोगों की एक समिति द्वारा किया जाना था. यह भी पढ़ें : लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल के बाद अब पप्पू यादव को सदन की मर्यादा की याद दिलाई

धनखड़ ने कहा, ‘‘मैंने बहस को ध्यान से पढ़ा है और केंद्रीय गृह मंत्री ने जो कहा है... गृह मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यही चलन है.’’ उन्होंने कहा ‘‘मुझे लगता है कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. सत्य का पूर्ण पालन किया गया है, जिसकी पुष्टि सदस्यों के पास उपलब्ध एक दस्तावेज से होती है और ऐसी स्थिति में, मैं गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार प्रश्न के इस नोटिस को स्वीकार करने के लिए खुद को सहमत नहीं कर सकता.’’ रमेश ने बुधवार को शाह के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ ‘‘बेबुनियाद आरोप’’ लगाने के लिए ‘‘उनकी छवि खराब करने के पूर्व नियोजित उद्देश्य’’ का हवाला दिया था. रमेश ने पत्र में कहा था ‘‘भले ही गृह मंत्री ने सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख किया था और उन पर आरोप लगाया था. गृह मंत्री ने सोनिया गांधी की छवि खराब करने के पूर्व नियोजित उद्देश्य से उनके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए थे. गृह मंत्री का बयान पूरी तरह से झूठा और अपमानजनक है.’’

रमेश ने मंगलवार को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन विधेयक, 2024 पर हुई बहस का जवाब दे रहे शाह के एक बयान का हवाला दिया था. शाह ने कहा था, ‘‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना कांग्रेस के शासन के दौरान की गई थी, और पीएम-केयर्स फंड की स्थापना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजग सरकार के शासन के दौरान की गई थी. कांग्रेस के शासन के दौरान केवल एक परिवार देश को नियंत्रित करता था.’’ किसी का नाम लिए बिना शाह ने दावा किया कि उस समय एक कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री राहत कोष का हिस्सा था. धनखड़ ने कहा कि विशेषाधिकार हनन एक गंभीर मामला है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने गहरी पीड़ा और दुख के साथ मना कर 1568807958472-0'); });

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जगदीप धनखड़ ने अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस खारिज किया, कहा- कोई उल्लंघन नहीं हुआ

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया. शाह ने अपने बयान को प्रमाणित करने के लिए 1948 की एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया था कि कांग्रेस के एक नेता प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के प्रबंधन का हिस्सा थे.

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नयी दिल्ली, 27 मार्च : राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया. शाह ने अपने बयान को प्रमाणित करने के लिए 1948 की एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया था कि कांग्रेस के एक नेता प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के प्रबंधन का हिस्सा थे. धनखड़ ने विशेषाधिकार हनन नोटिस को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मैंने इसे ध्यानपूर्वक पढ़ा है. मुझे लगता है कि इसमें कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.’’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के विशेषाधिकार हनन नोटिस पर अपनी व्यवस्था में धनखड़ ने कहा कि शाह ने कोई ‘‘उल्लंघन’’ नहीं किया है और इस सप्ताह की शुरुआत में एक बहस के दौरान उनके बयान ‘‘सत्य का पूर्ण अनुपालन’’ कर रहे थे. सभापति ने आगे कहा कि मीडिया में चर्चा पाने के लिए विशेषाधिकार हनन का जल्दबाजी में हवाला दिया गया.

साथ ही सभापति ने सदन की आचार समिति से कहा कि वह आसन के साथ संवाद जारी करने या नोटिस जारी करने जैसे मुद्दों पर सांसदों के आचरण पर नए दिशा-निर्देश बनाए. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी पर ‘‘आक्षेप लगाने’’ का आरोप लगाते हुए शाह के खिलाफ नोटिस दिया था. धनखड़ ने कहा कि शाह ने 25 मार्च को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन विधेयक, 2024 पर हुई बहस का जवाब देते हुए कुछ टिप्पणियां करने के बाद अपने बयान को प्रमाणित करने पर सहमति व्यक्त की थी. उन्होंने कहा कि मंत्री ने 24 जनवरी, 1948 को भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा जारी एक प्रेस बयान का हवाला दिया, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पीएमएनआरएफ (प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष) शुरू करने की घोषणा की थी. इसका प्रबंधन प्रधानमंत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष और कुछ अन्य लोगों की एक समिति द्वारा किया जाना था. यह भी पढ़ें : लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल के बाद अब पप्पू यादव को सदन की मर्यादा की याद दिलाई

धनखड़ ने कहा, ‘‘मैंने बहस को ध्यान से पढ़ा है और केंद्रीय गृह मंत्री ने जो कहा है... गृह मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यही चलन है.’’ उन्होंने कहा ‘‘मुझे लगता है कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. सत्य का पूर्ण पालन किया गया है, जिसकी पुष्टि सदस्यों के पास उपलब्ध एक दस्तावेज से होती है और ऐसी स्थिति में, मैं गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार प्रश्न के इस नोटिस को स्वीकार करने के लिए खुद को सहमत नहीं कर सकता.’’ रमेश ने बुधवार को शाह के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ ‘‘बेबुनियाद आरोप’’ लगाने के लिए ‘‘उनकी छवि खराब करने के पूर्व नियोजित उद्देश्य’’ का हवाला दिया था. रमेश ने पत्र में कहा था ‘‘भले ही गृह मंत्री ने सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख किया था और उन पर आरोप लगाया था. गृह मंत्री ने सोनिया गांधी की छवि खराब करने के पूर्व नियोजित उद्देश्य से उनके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए थे. गृह मंत्री का बयान पूरी तरह से झूठा और अपमानजनक है.’’

रमेश ने मंगलवार को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन विधेयक, 2024 पर हुई बहस का जवाब दे रहे शाह के एक बयान का हवाला दिया था. शाह ने कहा था, ‘‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना कांग्रेस के शासन के दौरान की गई थी, और पीएम-केयर्स फंड की स्थापना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजग सरकार के शासन के दौरान की गई थी. कांग्रेस के शासन के दौरान केवल एक परिवार देश को नियंत्रित करता था.’’ किसी का नाम लिए बिना शाह ने दावा किया कि उस समय एक कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री राहत कोष का हिस्सा था. धनखड़ ने कहा कि विशेषाधिकार हनन एक गंभीर मामला है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने गहरी पीड़ा और दुख के साथ मना कर दिया है कि हम विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाने में जल्दबाजी कर रहे हैं. हम मीडिया के पास जाते हैं, छवि खराब करने की कोशिश करते हैं. मैंने कई मौकों पर कहा है कि यह सदन लोगों की प्रतिष्ठा को बर्बाद करने का मंच नहीं होगा.’’

सभापति ने 1998 में आचार समिति के गठन का उल्लेख करते हुए कहा कि एस बी चौहान की अगुवाई में इसकी रिपोर्ट में कहा गया था कि सदस्यों को अपना आचरण इस तरह से करना चाहिए जिससे संसद की गरिमा और उनकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता बनी रहे. उनके अनुसार, रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सदस्यों को अपने सार्वजनिक आचरण में नैतिकता, गरिमा, शिष्टाचार और मूल्यों के अनुकरणीय मानकों को बनाए रखने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. सभापति ने कहा, ‘‘मैं आचार समिति को नैतिकता पर एस बी चौहान समिति की रिपोर्ट पर गौर करने और तकनीकी विकास और सोशल मीडिया के कारण होने वाली हस्तक्षेपकारी स्थितियों पर ध्यान देने और हमारे तंत्र को विकसित करने, सदस्यों के लिए अनुपालन के वास्ते नए दिशानिर्देश तैयार करने का काम सौंप रहा हूं.’’

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