नयी दिल्ली, 14 मई सस्ते आयातित तेल की मंडियों में भरमार तथा सीमित मात्रा में सूरजमुखी और सोयाबीन के शुल्कमुक्त आयात की छूट 30 जून तक बढ़ाये जाने की सरकार की अधिसूचना जारी किये जाने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह ऊंची लागत वाले देशी तेल-तिलहनों के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली। इस गिरावट से सरसों, सोयाबीन, बिनौला जैसे तिलहन उत्पादक किसान और देश का तेल उद्योग हैरान-परेशान है।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने पिछले दो वर्षो में सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 800 रुपये की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के बावजूद पिछले दो साल के मुकाबले इस बार मंडियों में सरसों लगभग 32 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था ‘नाफेड’ की खरीद पर्याप्त नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को सॉफ्ट आयल (सूरजमुखी और सोयाबीन) तथा ‘हार्ड आयल’ (पाम एवं पामोलीन तेल) के बीच मूल्य अंतर पर ध्यान देते हुए सॉफ्ट आयल के दाम को बढ़ाना होगा, नहीं तो अप्रैल में पाम पामेलीन के आयात में जो गिरावट आई है वह जारी रह सकती है और देश में खाद्य तेलों का उचित मात्रा में आयात प्रभावित हो सकता है। इससे आगे और समस्यायें आ सकती हैं।
सूत्रों ने बताया कि नवंबर, 2021 से अप्रैल, 2022 तक के छह महीनों में देश में खाद्य तेलों का आयात 67.07 लाख टन का हुआ था। जो नवंबर, 2022 से अप्रैल, 2023 तक रिकॉर्ड बढ़त (21 प्रतिशत) के साथ लगभग 81.1 लाख टन हो गया। इसकी मुख्य वजह सूरजमुखी तेल के दाम में भारी गिरावट आना है। दूसरी ओर सूरजमुखी तेल से महंगा होने की वजह से मांग कमजोर रहने के कारण कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल का आयात अप्रैल में पिछले महीने के मुकाबले लगभग 31 प्रतिशत घटा है। आगे इस तेल में और गिरावट संभव है। दूसरी ओर, सबसे सस्ता खाद्य तेल होने के कारण मार्च, 2023 के मुकाबले अप्रैल में सूरजमुखी तेल (सॉफ्ट आयल) का आयात लगभग 68 प्रतिशत बढ़ा है। यह आयात ऐसे समय बढ़ा जब देश में सरसों फसल तैयार हो गई थी।
सूत्रों ने कहा कि जो गरीब लोग पामोलीन पर निर्भर करते थे वे कौन सा तेल खायेंगे?
सूत्रों ने कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से कहा कि सरकारी खरीद के प्रयासों के बावजूद जिस तरह इसबार सरसों की फसल नहीं खपी है और किसानों के साथ-साथ देश का तेल उद्योग हैरान परेशान है। संभवत: इसी कारण, इस बार गर्मी में बोई जाने वाली तिलहन फसल की खेती का रकबा पिछले साल के तिलहन के 10.85 लाख हेक्टेयर के रकबे के मुकाबले घटकर 9.96 लाख हेक्टेयर रह गया है।
सूत्रों ने बताया कि मस्टर्ड आयल प्रोसेसिंग एसोसिएशन (मोपा) के संयुक्त सचिव, अनिल छतर ने कहा कि उन्होंने बार-बार सरकार से सरसों किसानों की बेहाली की बात उठायी है कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर सरसों बेचना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बात कही है कि लगभग 40 प्रतिशत सरसों तेल पेराई मिलें बंद हो चुकी है। सस्ते आयातित तेलों की वजह से देशी तिलहनों के नहीं खपने की सरकार से शिकायत दर्ज कराते हुए छतर ने आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की भी मांग की है।
सूत्रों ने कहा कि सॉफ्ट ऑयल और हार्ड ऑयल के बीच मूल्य अंतर बढ़ाने की ओर सरकार को जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिये नहीं तो परिस्थितियां हाथ से फिसल सकती हैं।
सूत्रों ने कहा कि आज परिस्थितियां अजीबो-गरीब हैं कि जो खाद्य तेल सस्ता (बंदरगाह पर आयात शुल्क बगैर - सूरजमुखी 78 रुपये लीटर और सोयाबीन तेल 82 रुपये लीटर) पड़ता है वह खुदरा में महंगा बिक रहा है। इस ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 235 रुपये लुढ़ककर 4,915-5,015 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दादरी तेल 450 रुपये टूटकर 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव 40-40 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,585-1,665 रुपये और 1,585-1,695 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का भाव क्रमश: 60-60 रुपये टूटकर क्रमश: 5,325-5,375 रुपये और 5,075-5,155 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव क्रमश: 410 रुपये, 220 रुपये और 450 रुपये लुढ़ककर क्रमश: 10,240 रुपये, 10,130 रुपये और 8,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
खाद्य तेल कीमतों में गिरावट के अनुरूप मांग कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 60 रुपये, 90 रुपये और 30 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,640-6,700 रुपये, 16,460 रुपये और 2,475-2,740 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 50 रुपये घटकर 8,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 150 रुपये टूटकर 10,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन एक्स कांडला का भाव भी 200 रुपये की हानि के साथ 9,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताह में 450 रुपये की गिरावट दर्शाता 8,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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