एजेंसी ने अपनी हालिया मासिक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण पर रोकथाम के लिये दुनिया भर में सरकारें लॉकडाउन (बंद) कर रही हैं। इसके कारण इस साल कच्चे तेल की वैश्विक मांग में रिकॉर्ड गिरावट आ सकती है।
एजेंसी ने कहा कि अप्रैल में कच्चे तेल की वैश्विक दैनिक मांग में 2.9 करोड़ बैरल की गिरावट देखने को मिल सकती है। यह 1995 के बाद का निचला स्तर होगा। पूरे साल के दौरान दैनिक मांग में 93 लाख बैरल की गिरावट रह सकती है।
हालांकि एजेंसी ने कहा कि कच्चे तेल की आपूर्ति पर लगाम लगाने के उपायों तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयासों से इस साल की दूसरी छमाही में तेल बाजार में क्रमिक सुधार होने लगेगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को चेतावनी दी कि आर्थिक उत्पादकता में तीन प्रतिशत की गिरावट आ सकती है और दुनिया एक सदी की सबसे भयानक मंदी की चपेट में आ सकती है।
आईईए ने भी इसी तर्ज पर कहा, ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था ऐसी परिस्थितियों से जूझ रही है, जो 1930 की महामंदी के बाद नहीं देखी गयी हैं। यदि इस साल बाद में पाबंदियों में कुछ ढील दी जाती है, तब भी 2020 में दैनिक मांग में 93 लाख बैरल की गिरावट आ सकती है और ऐसा हुआ तो यह लगभग एक दशक की वृद्धि को शून्य कर देगा।’’
हालांकि, एजेंसी ने कहा कि कुछ सकारात्मक चीजें भी हो रही हैं। सरकारें त्वरित कदम उठा रही हैं और इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से अर्थव्यवस्था को बाहर निकालने के लिये अरबों डॉलर झोंक रही हैं। उसने ओपेक व अन्य प्रमुख उत्पादक देशों के बीच दैनिक उत्पादन में 97 लाख बैरल की कटौती करने पर बनी सहमति की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘कच्चे तेल के बाजार की दिक्कतों को दूर करने के लिये भी कदम उठाये जा रहे हैं।’’
एजेंसी ने प्रमुख उत्पादक देशों और प्रमुख उपभोक्ता देशों से कहा कि वे इस अप्रत्याशित संकट की स्थिति में जी-20 मंच के जरिये समन्वय के साथ काम करें। हालांकि, एजेंसी ने यह भी कहा कि जी-20 और ओपेक मिलकर भी बाजार को तुरंत स्थिर नहीं कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि जी-20 देश भी ओपेक द्वारा उत्पादन कटौती का समर्थन करने पर सहमत हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि ओपेक के साथ ही अन्य देशों के भी उत्पादन घटाने से कच्चे तेल का दैनिक उत्पादन दो करोड़ बैरल तक कम किया जा सकता है।
आईईए ने कहा कि सालाना आधार पर कच्चे तेल की दैनिक मांग में अप्रैल में 2.9 करोड़ बैरल, मई में 2.6 करोड़ बैरल तथा जून में 1.5 करोड़ बैरल की गिरावट आ सकती है।
एजेंसी ने कहा कि कच्चे तेल के बाजार के प्रतिकूल हालात के कारण इस उद्योग के वैश्विक पूंजीगत खर्च में 32 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है और यह कम होकर 335 अरब डॉलर पर आ सकता है। यह 13 साल का निचला स्तर होगा।
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