जो बाइडन ने इजराइल और हमास के बीच संघर्ष विराम के लिए पर्दे के पीछे रहकर बनाया दबाव
बाइडेन (Photo Credits: Getty Images)

संघर्षविराम लागू होने से पहले नेतन्याहू ने बाइडन को फोन पर बताया कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध समाप्त होने वाला है, लेकिन इसके बाद भी बाइडन इस बात को लेकर चिंतित थे कि संघर्षविराम लागू होने में समय शेष रहने के कारण किसी भी समय स्थिति बदल सकती है. ऐसे में व्हाइट हाउस के सहयोगियों ने इजराइल और मिस्र से यह पता लगाने के लिए फोन पर संपर्क किया कि संघर्षविराम लागू होगा या नहीं. इस वार्ता संबंधी जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिका और इजराइल के अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित थे कि हमास की ओर से फिर से रॉकेट दागे जाने से मिस्र की मध्यस्थता में हुए समझौते पर पानी फिर सकता है.

इसके बाद नेतन्याहू ने बाइडन को फिर फोन किया. यह कुछ ही घंटों में बाइडन को आया उनका दूसरा फोन कॉल था. नेतन्याहू ने बाइडन को फिर से भरोसा दिलाया कि युद्ध वास्तव में समाप्त होने वाला है. इसी के साथ बाइडन के सामने राष्ट्रपति बनने के बाद आया पहला विदेश नीति संकट समाप्त हो गया. उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर इस संकट को निपटाया. व्हाइट हाउस ने बताया कि इस दौरान बाइडन और उनके वरिष्ठ सहयोगियों ने फोन के जरिए बात कर या व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर 80 बार संपर्क किए, ताकि युद्ध को विराम लग सके.

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इसके बाद बाइडन व्हाइट हाउस के ‘क्रॉस हॉल’ में कैमरों के सामने आए और उन्होंने अमेरिका, मिस्र, फलस्तीनी प्राधिकारियों और अन्य पश्चिम एशिया देशों के साथ हुई उच्च स्तरीय वार्ता की जानकारी दी. संघर्ष विराम की खुशी में दिए गए अपने साढ़े तीन मिनट के भाषण में बाइडन ने दोहराया कि इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है. उन्होंने इजराइली बमबारी में मारे गए फलस्तीनी आम नागरिकों के लिए शोक व्यक्त किया और वादा किया कि गाजा पट्टी के लिए मानवीय मदद मुहैया कराई जाएगी.

बाइडन ने कहा कि यदि अमेरिका द्वारा विकसित मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘आयरन डोम’ नहीं होती तो मृतकों की संख्या और अधिक हो सकती थी. यह 11 दिन का संघर्ष 2014 के गाजा युद्ध के बाद से सबसे भीषण संघर्ष रहा है जिसमें 240 से अधिक लोगों की मौत हो गई, गाजा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई तथा पहले से ही अस्थिर इस क्षेत्र के और अस्थिर होने का डर पैदा हो गया था.

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यह संघर्षविराम हिंसा को रोकने के लिए अमेरिका, मिस्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों की तरफ से बनाए जा रहे दबाव के बाद शुक्रवार को प्रभावी हुआ. प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू के कार्यालय से बृहस्पतिवार देर रात जारी एक बयान में कहा गया कि सुरक्षा कैबिनेट “परस्पर एवं बिना शर्त” शत्रुता समाप्त करने पर सर्वसम्मति से सहमत हुआ.

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