बीजिंग: भारत के साथ सीमा विवाद बढ़ाने के बाद अब चीन (China) खुद भारत से दोस्ती का हाथ आगे बढ़ा रहा है. भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी के बीच अब चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने रविवार के दिन एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि ''चीन और भारत दोनों को एक दूसरे को गिराना बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा, "दोनों देशों को सफल होने के लिए एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने के बजाय एक- दूसरे की मदद करनी चाहिए. हमें एक-दूसरे पर संदेह करने के बजाय सहयोग बढ़ाना चाहिए." उन्होंने कहा, "सीमा विवाद, इतिहास की देन है, यह चीन-भारत संबंध के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं है."
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि चीन और भारत एक दूसरे के दोस्त और साझेदार हैं, एक दूसरे के लिए खतरा नहीं है. उन्होंने कहा दोनों देशों को द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार कर अनुकूल माहौल बनाना चाहिए. वांग ने चीन और भारत के बीच संबंध के लिए सीमा विवाद के पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश मित्र एवं साझेदार हैं, लेकिन उन्हें एक दूसरे पर संदेह करना छोड़ देना चाहिए. चीनी हैकरों ने 30 हजार अमेरिकी कंपनियों को बनाया निशाना.
वांग यी ने कहा कि चीन-भारत संबंध अनिवार्य रूप से इस बारे में है कि कैसे दुनिया के दो सबसे बड़े विकासशील देश एक साथ मिलकर विकास और कायाकल्प को आगे बढ़ाते हैं. वांग ने चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के वार्षिक सत्र से अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा, "यह जरूरी है कि दोनों पक्ष विवादों का उपयुक्त निपटारा करें और साथ ही सहयोग बढ़ाएं, ताकि मुद्दों के हल के लिए अनुकूल स्थिति बन सके."
हालांकि, उन्होंने दोनों देशों के बीच 10 दौर की सैन्य स्तर की वार्ता के बाद पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों से सैनिकों के हाल ही में पीछे हटने के विषय पर कुछ नहीं कहा. विदेश मंत्री जयशंकर के साथ टेलीफोन पर 75 मिनट तक हुई बातचीत के बाद सीमा मुद्दे पर वांग की यह टिप्पणी आई है.
वांग ने अपनी टिप्पणी में कहा कि विश्व यह उम्मीद करता है कि चीन और भारत, दोनों देश विकासशील देशों के साझा हितों की रक्षा करें और विश्व में बहुध्रुवीय व्यवस्था को मजबूत करें. चीन के विदेश मंत्री ने कहा, "कई अहम मुद्दों पर, हमारे रुख समान हैं या करीबी हैं और समान राष्ट्रीय वास्तविकताओं के चलते ऐसा है, इसलिए चीन और भारत एक दूसरे के मित्र एवं साझेदार हैं, ना कि खतरा या प्रतिद्वंद्वी हैं." उन्होंने कहा, हम सीमा विवाद वार्ता एवं परामर्श के जरिए हल करने को प्रतिबद्ध हैं. साथ ही, हम अपने संप्रभु अधिकारों की भी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं."
(इनपुट- भाषा)