नई दिल्ली: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष एवं भावी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच उनके शांति प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा. बताना चाहते है कि गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और 11 जून से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे. वाजपेयी ने शाम 5.05 बजे अंतिम सांस ली. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. इमरान खान 18 अगस्त को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.
इमरान खान ने वाजपेयी को दक्षिण एशिया की राजनीति की बड़ी शख्सियत बताते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाई. इस दुख की घड़ी में हम भारत के साथ खड़े हैं. वाजपेयी के निधन से दक्षिण एशिया की राजनीति में शून्यता उत्पन्न हुई है. यह भी पढ़े-'मौत से ठन गई...',पढ़ें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 5 कविताएं
Pakistan Prime Minister-designate Imran Khan offered his condolences on the demise of former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee, saying the best way to honour the "towering leader" is by establishing peace between India & Pakistan
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— ANI Digital (@ani_digital) August 16, 2018
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर रखा गया है. आज उनका पार्थिव शरीर बीजेपी मुख्यालय में रखा जाएगा. फिर वहां से वाजपेयी जी की अंतिम यात्रा दोपहर को शुरू होगी और शाम 4 बजे उनका अंतिम संस्कार राष्ट्रीय स्मारक स्थल पर किया जाएगा. यह भी पढ़े-पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के इस ऐतिहासिक फैसले की पूरी दुनिया करती है तारीफ, लेकिन PAK ने दिखाया था दोगला चेहरा
अटल जी ने शुरू की थी दिल्ली-लाहौर बस सेवा
गौरतलब है कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत और पाकिस्तान के बीच मधुर संबंध स्थापित करने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए. एक कदम उनमें दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करने के तौर पर था. वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दिल्ली से लाहौर के बीच एक बस सेवा शुरू की थी. इस सेवा को सदा-ए-सरहद नाम दिया गया था. 19 फरवरी, 1999 को यह बस सेवा शुरू की गई थी.
इस बस में खुद वाजपेयी बस से लाहौर गए थे. यह सेवा आधिकारिक तौर पर 16 मार्च से शुरू हुई. कारगिल युद्ध के दौरान भी इस सेवा को बंद नहीं किया गया था. हालांकि 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकी हमले के बाद इस सेवा को बंद कर दिया गया था. बाद में 2003 को यह सेवा फिर शुरू हुई थी.