Nepal Floods: नेपाल में भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति बनी हुई है. गृह मंत्रालय की ओर जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में मूसलाधार बारिश से भूस्खलन और बाढ़ के बाद मरने वालों की संख्या बढ़कर 170 हो गई है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषि राम तिवारी ने बताया कि राहत कार्यों के लिए हेलीकॉप्टर और मोटरबोट के साथ 3,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. मलबा आने के कारण कई प्रमुख राजमार्ग बंद हो गए हैं, जिससे काठमांडू का देश के अन्य हिस्सों से संपर्क टूट गया है. प्रशासन राजमार्गों को साफ करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल कर रहा है.
इस आपदा में अकेले काठमांडू में 34 लोगों की जान चली गई है. यहां बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंच गया है, जिससे लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है.
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नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन से 170 लोगों की मौत
#WATCH | Nepal Floods | Death toll rises to 170 after torrential rainfall-induced landslide and flooding sweeps across the country: Home Ministry
(Drone visuals from Dhading in Nepal) pic.twitter.com/auV1JrdaLG
— ANI (@ANI) September 29, 2024
राहत बचाव कार्य लगातार जारी
#WATCH | Nepal Floods | Death toll rises to 170 after torrential rainfall-induced landslide and flooding sweeps across the country: Home Ministry
Rescue operations underway pic.twitter.com/diJ0kGCFhk
— ANI (@ANI) September 29, 2024
शुक्रवार शाम से काठमांडू से सभी घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गई हैं, जिससे 150 से ज़्यादा उड़ानें प्रभावित हुई हैं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अभी भी जारी हैं. पुलिस मलबा हटाने और सड़कों को फिर से खोलने की कोशिश कर रही है, ताकि यातायात सामान्य हो सके. मौसम विभाग के अधिकारी बीनू महारजन ने बताया कि पड़ोसी देश भारत के कुछ हिस्सों में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण बारिश की तीव्रता बढ़ गई है. रविवार तक भारी बारिश जारी रहने की संभावना है, जिसके बाद मौसम साफ होने की उम्मीद है.
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण नेपाल में बारिश और बाढ़ की घटनाओं की तीव्रता बढ़ रही है. इस साल अब तक बारिश से जुड़ी आपदाओं में 170 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. नेपाल में जून से सितंबर तक हर साल मानसून का कहर देखने को मिलता है, लेकिन इस बार स्थिति और भी गंभीर है. सरकार, प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर राहत कार्य में लगे हुए हैं, लेकिन बारिश का रौद्र रूप अभी भी चुनौती बना हुआ है.