Mistakes in Hanuman Chalisa: हिंदू धर्म में हनुमान जी की पूजा-अर्चना में सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का प्रमुख स्थान है. हम वही चालीसा करते चले आ रहे हैं, जो धार्मिक पुस्तकों में लिखा-छपा है. जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Swami Rambhadracharya Ji) ने हनुमान चालीसा में 4 गलतियां बताई हैं. ये चार गलतियां 6वीं, 27वीं, 32वीं और 38वीं चौपाई में हुई हैं. रामभद्राचार्य के मुताबिक, इन्हें तुरंत ठीक कर लेना चाहिए.
रामभद्राचार्य ने हनुमान चालीसा की ये गलतियां सुधारीं...
6वीं चौपाई
ये लिखा रहता है- शंकर सुवन केसरीनंदन, तेज प्रताप महाजगवंदन
ये सही है- शंकर स्वयं केसरीनंदन, तेज प्रताप महाजगवंदन
रामभद्राचार्य के मुताबिक, शंकर सुवन के स्थान पर शंकर स्वयं होना चाहिए. शंकर स्वयं केसरीनंदन यानी भगवान शंकर ही केसरीनंदन हैं. हनुमान, रुद्र यानी भगवान शंकर के 11वें अवतार माने जाते हैं.
27वीं चौपाई
ये लिखा रहता है- सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा
ये सही है- सब पर राम राय सिरताजा, तिनके काज सकल तुम साजा
रामभद्राचार्य कहते हैं कि सब पर राम तपस्वी राजा की जगह सब पर राम राय सिरताजा होना चाहिए. तपस्वी थोड़ी राजा बन सकता है.
32वीं चौपाई
ये लिखा रहता है- राम रसायन तुम्हरें पासा, सदा रहो रघुपति के दासा
ये सही है- राम रसायन तुम्हरें पासा, सादर हो रघुपति के दासा
38वीं चौपाई
ये लिखा रहता है- जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंदि महा सुख होई
ये सही है- यह सत बार पाठ कर जोई, छूटहिं बंदि महा सुख होई
जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं. उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्र है. उनका जन्म यूपी प्रदेश के जौनपुर में हुआ था. रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं. वे रामानंद सम्प्रदाय के वर्तमान 4 जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर साल 1988 से आसीन हैं.
4 mistakes in Hanuman Chalisa explained by Jagadguru Swami Rambhadracharyaji🙏 pic.twitter.com/SbbaNUPLc3
— Vishal Upadhyay🇮🇳 (@VishalU15) November 25, 2023
पद्म विभूषण से सम्मानित
रामभद्राचार्य जब सिर्फ दो महीने के थे, तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी. वे 22 भाषाएं जैसे संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली समेत कई भाषाओं में कवि और रचनाकार हैं. उन्होंने 80 से ज्यादा पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें 4 महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिंदी में) हैं. 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.
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