Parsi New Year 2024: पारसी नव वर्ष जिसे ‘नवरोज़’ के नाम से भी जाना जाता है, पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला यह एक महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व पारसी कैलेंडर के नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, जिसे पारसी समुदाय बड़े उत्साह और उल्हास के साथ मनाता है. ‘नवरोज’ अर्थात पारसी नववर्ष भारत और दुनिया भर में पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाता है. इसमें पारसियों के इतिहास एवं संस्कृति का पता लगाया जा सकता है. इस अवसर पर आइये जानते हैं, पारसियों के इस पारंपरिक पर्व के इतिहास, महत्व एवं परंपराओं के बारे में...
कब मनाया जाता है पारसी नववर्ष
पारसी समाज द्वारा प्रत्येक वर्ष वसंत विषुव अर्थात 21 मार्च माह के आसपास नववर्ष मनाया जाता है. लेकिन भारत में पारसी समुदाय शहंशाही कैलेंडर के अनुसार नववर्ष मनाता है, जो जुलाई अथवा अगस्त माह के मध्य पड़ता है. शहंशाही कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 16 अगस्त 2024 को पारसी नववर्ष मनाया जाएगा, ध्यान रहे शहंशाही कैलेंडर में वे लीप ईयर को आधार नहीं मानते. ये भी पढ़े :Raksha Bandhan 2024: कब है रक्षाबंधन? सुबह से लग रही है भद्रा! जानें क्या है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त?
पारसी नव वर्ष का इतिहास
पारसी नव वर्ष की उत्पत्ति प्राचीन देश फारस में हुई, जहां इसे फारसी कैलेंडर में नए साल की शुरुआत के रूप में मनाया जाता था. यह पर्व वसंत विषुव का प्रतीक है, जो वसंत के आगमन और प्रकृति के नवीनीकरण का वाहक है. यह पारसी धर्म के प्रमुख मूल्यों को दर्शाते हुए, अंधेरे पर प्रकाश तथा बुराई पर अच्छाई की विजय के जश्न के रूप में मनाया जाता है. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 7वीं शताब्दी में जब पारसी समुदाय के कुछ लोग जब भारत आये, तो अपनी संस्कृति. परंपराएं और रीति-रिवाज आदि लेकर थे. नवरोज अर्थात नया दिन की परंपरा यहां भी चलती रही, तथा स्थानीय संदर्भ के अनुरूप अनुकूलित किया गया. जो आगे चलकर पारसी सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने बनते चले गये.
पारसी नव वर्ष का महत्व
पारसी नव वर्ष पारसी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है. यह दिवस पारसी सिद्धांतों के प्रतिबिंब, नवीनीकरण और पुन: पुष्टि का समय होता है, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वच्छता के महत्व और धार्मिकता तथा सदाचार जीवन जीने की आवश्यकता पर जोर देता है. यह दिवस आनंद, कृतज्ञता और उत्सव का समय है, जब लोग अपनी साझा सांस्कृतिक पहचान का जश्न मनाने के लिए साथ आते हैं.
पारसी नव वर्ष सेलिब्रेशन
पारसी नव वर्ष पर्व को विभिन्न पारंपरिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं द्वारा चिह्नित किया जाता है.
तैयारी: नवरोज से पूर्व पारसी अपने घरों को अच्छी तरह से साफ करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे साल को नए सिरे से शुरू करें. यह अतीत की नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा के स्वागत का प्रतीक है.
नए कपड़े पहनना: नवरोज़ के दिन, पारसी समाज के लोग नए-नये कपड़े पहनते हैं. यह नए साल की नई शुरुआत और खुद को सर्वोत्तम तरीके से प्रस्तुत करने के महत्व को दर्शाता है.
धार्मिक समारोह: दिन की शुरुआत प्रार्थना और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अग्यारी यात्रा (अग्नि मंदिर) से होती है. यह समारोह उत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा है, और त्योहार के आध्यात्मिक पहलू को दर्शाते हैं.
खाना-पीनाः इस अवसर पर पारसी समाज के लोग एक स्थान पर एकत्र होकर डिनर का लुत्फ उठाते हैं. इस दौरान पात्रा, साली बोटी और मावा केक जैसे पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया जाता है. ये व्यंजन अक्सर बड़े गर्व के साथ परोसे जाते हैं, और आतिथ्य एवं समुदाय के महत्व को दर्शाते हैं.