International Literacy Day 2021: क्यों मनाया जाता है विश्व साक्षरता दिवस? जानें इसका इतिहास और साक्षरता के संदर्भ में भारत की स्थिति?
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2021(Photo Credits: File Image)

सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए साक्षरता के महत्व को दर्शाने के लिए संपूर्ण विश्व में आज 8 अगस्त 2021 को साक्षरता दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष साक्षरता दिवस की थीम है ‘डिजिटल विश्व में साक्षरता’.

विश्व साक्षरता दिवसः कब और क्यों शुरु हुआ?

दो विश्व युद्ध से जूझने के पश्चात दुनिया भर में विज्ञान, साक्षरता, पढ़ाई और संस्कृति पर काम करने वाली संस्था यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) 1945 में बनी. सभी देशों ने मिल बैठकर सोचा कि बिना युद्ध किये आम मानव का विकास कैसे किया जा सकता है. इसका एक ही हल था, ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिक्षित करना. अंतत यूनेस्को ने साल 1965 में 07 नवंबर को आधिकारिक तौर पर घोषणा करते हुए 08 सितंबर को साक्षारता दिवस मनाने का फैसला किया. इसके पश्चात पहली बार 8 सितंबर 1966 को संपूर्ण विश्व में मनाया गया. अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने के पीछे एक उद्देश्य यह भी था, कि मानव विकास एवं अधिकारों को समझने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा मिले. सफल जीवन के लिए जैसे खाना जरूरी है, उसी तरह साक्षरता भी बहुत जरूरी है. क्योंकि शिक्षित व्यक्ति में ही वह क्षमता होती है, जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को आगे बढ़ा सके.

विश्व साक्षरता दिवस और भारत

साक्षरता किसी भी देश की आर्थिक एवं सामाजिक विकास का आधार होती है. साक्षर और शिक्षित समाज ही लोकतांत्रिक तरीके से सामाजिक एवं आर्थिक विकास के बारे में प्रभावी तरीके से सोच सकता है. कहने का आशय समाज जितना ज्यादा साक्षर होगा, देश का विकास उतनी ही तीव्रता से होगा. लेकिन विकसित देश की होड़ में अग्रसर भारत की साक्षरता दर संतोषजनक नहीं है. यद्यपि गत सात दशकों में भारत की साक्षरता दर चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. ज्ञात हो कि आजाद भारत के समय इसकी साक्षरता दर 18 फीसदी थी, आज यह 80 फीसदी तक पहुंची है. अगर विश्व के आइने से देखें तो विश्व की औसत साक्षरता दर 86 फीसदी है. केंद्र सरकार का लक्ष्य अगले 7 सालों में देश को पूर्ण साक्षर करवाना है. आज भी देश में स्त्री-पुरुष के बीच साक्षरता दर में 16 फीसदी का अंतर है. इसे खत्म करने के लिए केंद्र सरकार लड़कियों की शिक्षा पर अपेक्षाकृत ज्यादा जोर दे रही है. ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजना के अलावा देश के लगभग सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की गयी है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में लड़कियां स्कूल जा सकें. इसका उत्साहजनक असर पड़ा है. आज गांव में भी भारी संख्या में लड़कियां स्कूल जा रही हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़े वर्ग जो देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा है, में भी साक्षरता दर काफी कम है. ऐसे में इन सभी को साक्षर बनाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

साक्षरता दिवस कौन राज्य कहां हैं

गत वर्ष जारी एनएसओ (NSO) यानी स्टैटिस्टिकल ऑफिस के सर्वे के अनुसार एक बार फिर साक्षरता के मामले में दक्षिण के केरल ने बाजी मारी है. मजे की बात यह है कि केरल में पुरुष हो या स्त्री सभी ने केरल को बेहतर साक्षरता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है. एनएसओ के सर्वे के अनुसार केरल में इस साल साक्षरता दर 96.2 दर्ज की गई है. 66.4 फीसदी की साक्षरता दर के साथ आंध्र प्रदेश सबसे फिसड्डी रहा. यह भी पढ़ें : Ganpati Sthapana 2021: 10 सितंबर को पधार रहे हैं गणपति बप्पा! घर ला रहे हैं गणपति तो जानें स्थापना, आह्वान, प्राण प्रतिष्ठा, भोग एवं विसर्जन के समय पढ़े जाने वाले मंत्र!

साक्षरता दर में भारत के टॉप 5 राज्य

केरल 96.02 प्रतिशत

दिल्ली 88.7 प्रतिशत

उत्तराखण्ड 87.6 प्रतिशत

हिमाचल प्रदेश 86.6 प्रतिशत

असम 85.9 प्रतिशत