कोरोना के प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए अगर इस वर्ष आप भी गणपति बप्पा को अपने घर पर आमंत्रित कर रहे हैं तो जानें क्या है शुभ मुहूर्त तथा स्थापना से लेकर विसर्जन तक के मंत्र!
हमेशा की तरह इस वर्ष भी भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी को महाराष्ट्र समेत संपूर्ण भारत में गणेशोत्सव का पर्व पूरी धूमधाम एवं आस्था के साथ मनाया जायेगा. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष यह पर्व 10 सितंबर 2021 दिन शुक्रवार से शुरु हो रहा है, जो अगले दस दिनों तक चलेगा. अगर आप गणपति बप्पा को घर पर लाने की तैयारी कर रहे हैं, तो इन मंत्रों को कंठस्थ कर लें, क्योंकि गणपति की स्थापना से विसर्जन तक के इन मंत्रोच्चारण से बप्पा खुशी-खुशी विराजते हैं और आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं, तथा घर-परिवार में सुख, शांति एवं खुशहाली आती है.
मंत्रों का महत्व एवं मंतव्य
हिंदू आध्यात्म के अंतर्गत पूजा-प्रतिष्ठान आदि मंत्रों पर ही केंद्रित होते हैं. मंत्रों में बड़ी शक्ति होती है. आप सच्ची आस्था एवं निष्ठा के साथ मंत्रोच्चारण करके किसी भी देवी-देवता का आह्वान एवं विसर्जन कर सकते हैं. लेकिन संस्कृत भाषा में उल्लेखित मंत्रों का उच्चारण सही नहीं होने से लाभ के बजाय हानि भी हो सकती है. इसलिए किसी भी मंत्र का उच्चारण करने से पूर्व उसका अभ्यास कर लेना चाहिए. गौरतलब है कि गणपति बप्पा अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं, लेकिन गलत तरीके से की गई पूजा-विधियों, गलत मंत्रोंच्चारण आदि से शीघ्र ही कुपित भी हो जाते हैं, जिससे अनिष्ठ की संभावना होती है. इसलिए अगर आप बप्पा को अपने घर पर आमंत्रित करना चाहते हैं मगर आपके मंत्रोच्चारण में दोष लगता है तो किसी विद्वान पंडित से यह कार्य सम्पन्न करवा सकते हैं. आइये जानें गणपति बप्पा के स्थापना, आह्वान एवं प्राण प्रतिष्ठा, भोग एवं विसर्जन तक के समय पढ़े जाने वाले मंत्र. यह भी पढ़ें : Rosh Hashanah 2021: रोश हसनाह क्या है? जानें यहूदी नव वर्ष का इतिहास और महत्व
आसान पर स्थापित करते समय का मंत्र
रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।।
आह्वान मंत्र
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।
गणपति स्थापना का शुभ मुहर्त (10 सितंबर 2021 दिन शुक्रवार)
गणेश चतुर्थी को दोपहर 12.17 से रात्रि 10.00 बजे तक
गणपति को भोग लगाते समय के मंत्र
श्रीगणेश जी को दूर्वा सबसे ज्यादा पसंद है. इसके पश्चात मोदक उन्हें चढ़ाया जाता है. अंत में पंचामृत अर्पित करने की परंपरा है
* दूर्वा अर्पित करते समय पढ़े जानेवाले मंत्र
ऊँ वक्रतुण्डाय हुम्
ऊँ गं ऊँ
* मोदक चढ़ाते समय का मंत्र
हीं श्रीं क्लीं गौं वरमूर्र्तये नम:
ऊँ गं गणपतये नम:।
* पंचामृत अर्पित करते समय के मंत्र
हीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय
विसर्जन का मुहूर्त एवं मंत्र
इस वर्ष गणपति विसर्जन हिंदी कैलेंडर के अनुसार अनंत चतुर्दशी (19 सितंबर 2021, रविवार) के दिन होगा. इस दिन गणपति की विदाई की जाती है. विदाई 19 सितंबर से शुरु होकर 20 सितंबर तक निम्न मुहूर्त के अनुसार होगा.
प्रातःकाल का मुहूर्तः 07.39 से दोपहर 12.14 बजे तक (19 सितंबर 2021)
अपराह्न का मुहूर्तः 01.46 से दोपहर 03.18 बजे तक (19 सितंबर 2021)
सायंकाल का मुहूर्तः 06.21 से रात 10.46 बजे तक (19 सितंबर 2021)
रात्रिकाल का मुहूर्तः 01.43 से भोर 03.11 बजे तक (20 सितंबर 2021)
प्रातःकाल का मुहूर्तः 04.40 से सुबह 06.08 बजे तक (20 सितंबर 2021)
गणेश जी के विसर्जन से पूर्व उनकी आरती उतारें. इसके बाद विसर्जन स्थल (समुद्र, नदी, तालाब, सरोवर, कृत्रिम जलाशय) के पास ले जाकर एक बार पुनः आरती उतारें, इसके बाद निम्न मंत्र पढ़ते हुए पहले श्रीगणेश प्रतिमा को डुबकी लगायें और फिर विसर्जन करें.
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च ॥