
Seema Biswas at 10th AIFF: नेशनल अवार्ड विनिंग एक्ट्रेस सीमा बिस्वास ने 10वें अजंता-एलोरा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (AIFF) में एक मास्टरक्लास के दौरान अपने फिल्मी करियर के अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि आलोचनाओं का जवाब देने के बजाय अपने काम को बोलने देना ज्यादा जरूरी है. अपनी फिल्मी यात्रा पर बात करते हुए बिस्वास ने कहा, "मैं शुरू में एक बेहतरीन डांसर बनना चाहती थी, लेकिन एक्टिंग के पहले अनुभव ने मुझे अहसास कराया कि यही मेरा असली जुनून है. मेरी यात्रा एक छोटे से गांव से शुरू होकर ऑस्कर तक पहुंची."
फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में अपने आइकॉनिक किरदार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मैं तीन दिन तक सो नहीं पाई. मुझे लगा कि यह किरदार मेरे लिए ही बना है.
''मैं सिर्फ एक विवादास्पद अभिनेत्री नहीं हूं''
''इस फिल्म पर काम करना मेरे लिए बेहद गहरा अनुभव था. इसके बाद, मैं यह साबित करना चाहती थी कि मैं सिर्फ एक विवादास्पद अभिनेत्री नहीं हूं, बल्कि एक बहुमुखी कलाकार भी हूं. इसलिए मैंने 'खामोशी' जैसी फिल्म चुनी."
अपने किरदारों से प्रेरणा लें: सीमा बिस्वास
युवा अभिनेताओं को सलाह देते हुए उन्होंने कहा, "हर किरदार के लिए सच्चाई जरूरी है. अपने किरदारों से प्रेरणा लें, लेकिन उन्हें कॉपी करने की कोशिश कभी न करें. नकल करने से प्रदर्शन की आत्मा नष्ट हो जाती है. किरदार की तैयारी करते समय आपको पूरी तरह उसमें डूब जाना चाहिए और 24 घंटे उस किरदार की जिंदगी जीनी चाहिए. मेरे लिए हर किरदार नई शुरुआत होती है और मैं उसे पूरी लगन से निभाती हूं."
सीमा बिस्वास का फिल्मी करियर
बता दें, सीमा बिस्वास एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री हैं, जो हिंदी फिल्मों और थिएटर में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उन्हें बैंडिट क्वीन (1994) में फूलन देवी की भूमिका निभाने के लिए पहचान मिली, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में खामोशी: द म्यूजिकल (1996), भूत (2003) और विवाह (2006) शामिल हैं. इसके अलावा, वह कई टेलीविज़न शो में भी नज़र आ चुकी हैं.