अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस (International Daughters Day) प्रत्येक वर्ष सितंबर माह में चौथे रविवार के दिन मनाया जाता है. जानें इस दिवस विशेष के मायने और इसका इतिहास एक समय था, जब बेटी पैदा होने पर घर-परिवार में मातम छा जाता था, चूल्हे नहीं जलते थे, लेकिन आज परिदृश्य बदल चुका है. बेटियां समाज के सोच-विचार में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सफल रही हैं. इस संदर्भ में किसी ने खूब कहा है, ‘बेटे भाग्य से पैदा होते हैं, तो बेटियां सौभाग्य से मिलती हैं’. हां, वह बेटी ही है, जिसे अगर उड़ने को मनचाहा आकाश मिल जाये तो वह अपनी उड़ान से ना केवल अपना बल्कि पूरे परिवार की किस्मत चमका सकती हैं. कुछ लोगों को यह बात शायद अतिशयोक्ति लग सकती है कि बेटियां ही हैं, जिसके दिल में सबके लिए मान-सम्मान और प्यार होता है. फिर वह चाहे मायका हो या सास का आशियाना. वे बड़ी कुशलता और तत्परता से दोनों घरों को सहेज कर रखती है. क्या यह सच नहीं है कि बेटों से ज्यादा बेटियां अपने माता-पिता और परिवार की परवाह करती है.
बेटे से कम नहीं हैं बेटियां!
कुछ अर्सा पहले तक भारत में बेटियों की क्या स्थिति थी, किसी से छिपी नहीं है. भारत में लिंगानुपात में भी लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या काफी कम थी. कन्या भ्रूण-हत्या की मानसिकता ने तो इनके वजूद को मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन आज हालात बदल चुके हैं. आज हर माता-पिता सगर्व कहते हैं कि बेटियां बेटों से बेहतर होती हैं. आज बेटियां चांद तक पहुंच गई हैं, सीमाओं पर देश की रक्षा कर रही हैं, अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में मेडल लाने में भी वे पीछे नहीं हैं. कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां लड़कियों ने लड़कों से बाजी नहीं मारी हो. स्कूल-कॉलेज के परीक्षाफलों से लेकर उच्च शिक्षा तक में बेटियां अव्वल रहती हैं.
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बेटी दिवस?
ज्यादा वक्त नहीं हुआ, जब पुरुष-प्रधान समाज में बेटियां या तो रसोई की शोभा मानी जाती थीं या बच्चा पैदा करने की मशीन. समय के साथ हालात बद से बदतर होती गयी. आजाद भारत में भी जन्म लेने से पूर्व गर्भ में उनकी हत्या कर दी जाती थी. शिक्षा से तो मानो उसका कोई नाता ही नहीं था. इन हालातों से बेटियों को बाहर निकालने के लिए प्रत्येक वर्ष सितंबर मास के चौथे रविवार का दिन बेटियों के नाम समर्पित करते हुए ‘अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस’ (International Daughters Day) मनाने की शुरुआत हुई. बेटी दिवस के माध्यम से स्कूल-कॉलेज से लेकर सार्वजनिक स्थलों एवं कार्यालयों आदि में बेटी दिवस के उपलक्ष्य में गोष्ठियां, डिबेट्स, रंगारंग कार्यक्रम आदि शुरु किये जाते हैं. इन कार्यक्रमों में बेटियों की शिक्षा, परवरिश, बेटों जैसे अधिकार एवं अवसर, दहेज-प्रथा से सुरक्षा दिलाने, भ्रूर्ण-हत्या पर निरंकुश लगाने आदि पर जनजागरण अभियान शुरु हुआ. महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया गया. बेटियों ने यह रुतबा बड़ी बहादुरी, सच्ची निष्ठा और प्रतिभा के दम पर हासिल किया है. इस वर्ष यह दिवस 26 सितंबर 2021 को मनाया जायेगा
कैसे मनायें बेटी दिवस?
राष्ट्रीय बेटी दिवस (National Daughters Day) पर आप अपनी बेटी के चेहरे पर नेचुरल खुशियां लाने के लिए उन्हें मोबाइल, लैपटॉप, टैब, घड़ी, मेकअप किट्स, सोने की अंगूठी या ब्रेसलेट आदि भेंट कर सकते हैं, या पिकनिक ट्रिप्स, आउटिंग, बाहर खाना खिलाने पर ले जा सकते हैं, और बेहतर होगा कि उनसे पूछकर उनकी इच्छानुसार चीजें गिफ्ट करें. एक बड़ी धनराशि की एफडी आदि भी उन्हें भेंट कर जता सकते हैं कि आप उनके भविष्य के लिए भी फिक्रमंद हैं. इन सबके पीछे एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि आप उन्हें कुछ स्पेशल फील करवा रहे हैं.