प्लास्टिक के कितने महीन कण हम रोज निगल रहे? जानें ये कितना खतरनाक है
Representative Image (Photo: Pixabay)

कलाघन (ऑस्ट्रेलिया), छह फरवरी (360इंफो): विश्व में प्लास्टिक कचरा तेजी से बढ़ता जा रहा है और यह पारिस्थितिकी तंत्र से लेकर लोगों तक, हर चीज को अपनी चपेट में ले रहा है. लेकिन हमें इसके दुष्प्रभावों को लेकर पर्याप्त जानकारी नहीं है. हम यह ठीक से नहीं जानते कि कितना माइक्रोप्लास्टिक प्रतिदिन मानव के शरीर में जा रहा है और इसके संभावित परिणाम क्या हैं? Heart Health: डिप्रेशन से गुजर रहे युवा वयस्कों में दिल की बीमारी होने का खतरा अधिक.

प्लास्टिक के महीन टुकड़ों को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है. मानव स्वास्थ्य से जुड़े बुनियादी सवालों के हल के लिए अब तक कुछ ही अध्ययन किए गए हैं. इन अध्ययन का अनुमान है कि विश्व स्तर पर हर सप्ताह औसतन 0.1 से लेकर 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक विभिन्न तरीकों से मनुष्य के शरीर जा सकता है.

आम तौर पर, ये कण भोजन या पेय के माध्यम से, सांस के जरिये और यहां तक कि त्वचा के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद ये सूक्ष्म कण (5 मिमी से कम) पाचन, श्वसन और परिसंचरण तंत्र में चले जाते हैं.

लंबे समय में, माइक्रोप्लास्टिक मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है क्योंकि उनके अंदर के दूषित पदार्थ कई बीमारियों से जुड़े हुए हैं. इनमें हृदय संबंधी और प्रजनन संबंधी समस्याओं के साथ ही मोटापा, मधुमेह और कैंसर आदि भी शामिल हैं.

इसलिए यह आवश्यक है कि शोधकर्ता मानव शरीर के अंदर जा रहे माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा और इसके संभावित प्रभावों का निर्धारण करें. मानव स्वास्थ्य संबंधी जोखिम आकलन में सहायता और प्रभावी प्रबंधन एवं नीति तैयार करने के लिए माइक्रोप्लास्टिक अंतर्ग्रहण (शरीर के अंदर प्रवेश करना) की एक निश्चित वैश्विक औसत दर की आवश्यकता है.

इस प्रारंभिक अध्ययन से पता चलता है कि माइक्रोप्लास्टिक कण संभवत: पानी, मछली, नमक, बीयर, शहद एवं चीनी के साथ मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. वैश्विक स्तर पर, संभवत: प्रति वर्ष 11,845 से 193,200 माइक्रोप्लास्टिक कण (7.7 ग्राम से 287 ग्राम) हर व्यक्ति निगलता है. इन कणों का सबसे बड़ा स्रोत पेयजल है जिनमें नल का पानी और बोतलबंद पानी दोनों हैं.

माइक्रोप्लास्टिक अंतर्ग्रहण की औसत दर संबंधी यह अनुमान मानव स्वास्थ्य जोखिम मूल्यांकन का आधार बन सकता है. भोजन और पेय के अलावा घरों की धूल के जरिए भी माइक्रोप्लास्टिक कण मानव शरीर के अंदर चले जाते हैं जिससे मानव को अधिक खतरा है. इससे हर दिन संभावित रूप से अतिरिक्त 26 से 130 माइक्रोप्लास्टिक कण फेफड़े के संपर्क में आते हैं.

आम तौर पर, बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक की उच्च मात्रा होने की सूचना थी और इसके मुख्य कारण पैकेजिंग और प्रसंस्करण हो सकते हैं. अशुद्ध या अनुपचारित पानी को अध्ययन में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि महीन प्लास्टिक कणों की पहचान करना और उनकी मात्रा निर्धारित करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है. दिलचस्प है कि आज तक अनुपचारित पानी के नमूनों में पाए गए माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा वही थी जो बोतलबंद पानी में मिली थी.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)