
Penis Reconstruct Surgery: 8 साल पहले राजस्थान के एक युवक को कैंसर हुआ था और इस बिमारी के कारण वह अपना लिंग गंवा चूका था. लेकिन नागपुर के लता मंगेशकर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इस युवक को एक नया जीवन दान देते हुए प्लास्टिक सर्जरी कर नया लिंग ट्रांसप्लांट कर दिया. इस व्यक्ति पर यहां डॉक्टरों ने करीब साढ़े नौ घंटे तक चली एक जटिल सर्जरी में सफलता हासिल करते हुए हाथ की मांसपेशियों की मदद से नया लिंग तैयार कर प्रत्यारोपित किया.
यह मध्य भारत में इस प्रकार की पहली सफल सर्जरी मानी जा रही है.ये भी पढ़े:First Robotic Bypass Surgery: नागपुर के सरकारी हॉस्पिटल में हुई देश की पहली रोबोटिक बायपास सर्जरी, मेडिकल और सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टरों ने महिला की जान बचाई
हाथ से बनाया गया अंग
सर्जरी के दौरान हाथ की ऊपरी मांसपेशियों का इस्तेमाल कर लिंग के शाफ्ट और मूत्रमार्ग का पुनर्निर्माण किया गया. इसके बाद इसे जांघ के पास ट्रांसप्लांट किया गया. इस प्रक्रिया में माइक्रो रक्तवाहिनियों को जोड़ना, नसों से संवेदना बहाल करना और एक कार्यशील अंग तैयार करना जैसे अत्यंत बारीक काम किए गए. इस प्रकार की सर्जरी को मेडिकल भाषा में “मायक्रोवस्क्युलर सर्जरी” कहा जाता है.
विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने किया चमत्कार
इस जटिल सर्जरी को सफल बनाने में डॉ. जितेंद्र मेहता, डॉ. समीर महाकालकर, डॉ. अश्विनी पंडितराव, डॉ. देव पटेल, डॉ. अभिराम मुंडले, डॉ. कंवरबीर और डॉ. पल्लवी जैसे सीनियर सर्जनों ने भाग लिया. डॉ. अंजली भुरे, डॉ. मधुश्री शहा, डॉ. केतकी मारोडकर, डॉ. रचना नैताम और डॉ. गुंजन ने एनेस्थेसिया विशेषज्ञ के तौर पर योगदान दिया. संपूर्ण टीम ने डीन डॉ. सजल मित्रा और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नितीन देवस्थले के मार्गदर्शन में यह कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किया.
मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ
लंबे समय तक मानसिक, शारीरिक और सामाजिक समस्याओं से जूझने के बाद अब इस युवक को नई जिंदगी मिली है. सर्जरी के बाद उसकी हालत स्थिर है और डॉक्टरों के अनुसार वह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका है. यह सर्जरी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
मेडिकल जगत में मिसाल बनी यह सर्जरी
विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में यह ऑपरेशन एक नई मिसाल है. यह दिखाता है कि अब गंभीर से गंभीर समस्याओं का समाधान भी तकनीकी दक्षता और समर्पित डॉक्टरों की टीम से संभव हो सकता है. नागपुर की यह उपलब्धि न केवल मरीज के लिए वरदान बनी, बल्कि हजारों अन्य पीड़ितों के लिए भी उम्मीद की किरण जगाई है.