प्राचीन हिंदु शास्त्रों में ऋषियों-महर्षियों ने गौमूत्र (Cow Urine) को एक महाऔषधि बताया है. शास्त्रों में ‘पंचगव्य’ का भी उल्लेख खूब मिलता है. ‘पंचगव्य’ का आशय है गाय (Cow) द्वारा प्राप्त दूध, घी, दही, गोबर और मूत्र. वर्तमान में विज्ञानियों ने भी गौमूत्र के दिव्य गुणों को स्वीकारा है और गोमूत्र के महत्व को समझाया है. कुछ आधुनिक शोधों में भी गौमूत्र में निहित गुणकारी औषधियों का जिक्र किया गया है. औषधि वैज्ञानिकों का मानना है कि एक स्वस्थ गाय के मूत्र से साल भर में लगभग 10 हजार रूपये मूल्य के केमिकल्स तैयार किये जा सकते हैं. अब एक गाय की कुल उपयोगिता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है.
औषधि शास्त्र में गौमूत्र की महत्ता
आयुर्वेद शास्त्र में भी उल्लेखित है कि गाय से प्राप्त होने वाले तत्वों मसलन दूध, घी, दही, गौमूत्र और गोबर आदि का प्रयोग चिकित्सा जगत में खूब किया जाता है. यद्यपि ‘मूत्र’ शरीर का उत्सर्गी यानी व्यर्थ तत्व माना जाता है, लेकिन इसके विपरीत गौमूत्र में तमाम असाध्य रोगों के औषधीय तत्व पाये जाते हैं, इसलिए इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है. विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार गोमूत्र का इस्तेमाल कुष्ठ रोग, सोरायसिस, एग्जिमा, एलर्जी, अस्थमा, कैंसर, मधुमेह, कब्ज, हेपेटायटिस, अल्सर, फ्लू एवं गले की बीमारियों के लिए किया जाता है.
गौमूत्र में गुणकारी तत्व (रसायन)
सल्फर- यह रक्त का शोधन करता है, बड़ी आंत को सक्रिय कर उसकी गति को बढ़ाता है. यह त्वचा संबंधी रोगों के लिए भी लाभप्रद माना जाता है.
तांबा (कापर)- यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को नष्ट करता है, जिससे मोटापा कम होता है.
आयरन (लौह)- गौमूत्र में निहित आयरन लाल रक्त कणिकाओं (RBC) मे मददगार साबित होता है. हिमोग्लोबिन को बढ़ाता है. जिससे शरीर में रक्त की कभी कमी नहीं रहती.
सोडियम- यह रसायन रक्त को शुद्ध करता है, साथ ही कब्जियत पर भी नियंत्रण रखता है.
पोटैशियम- यह मांसपेशियों की कमजोरी को दूर करता है.
कैल्शियम- हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है.
इसके अलावा गोमूत्र में विटामिन B, C, D, E की भी उपस्थिति होती है, जो हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है. यह भी पढ़ें: गाय का दूध ही नहीं गौमूत्र भी होता है अमृत, डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज में है बेहद फायदेमंद
इन बीमारियों में भी लाभदायक हो सकता है गौमूत्र
* गले में किसी भी तरह की तकलीफ हो तो आधे प्याले गौमूत्र में चुटकी भर केसर अच्छी तरह घोलकर गरारा करने से गले को राहत मिलती है.
* दांतों में दर्द हो अथवा पायरिया की शिकायत हो तो गौमूत्र से कुल्ला करें. दर्द से राहत मिलेगा.
* जोड़ों में दर्द होने पर गौमूत्र का इस्तेमाल लाभदायक साबित हो सकता है. दर्द वाले स्थान पर गौमूत्र से सिंकाई करें. सर्दी के दिनों में जोड़ों में दर्द महसूस हो तो चुटकी भर सोंठ के पाउडर के साथ दो चम्मच गोमूत्र का सेवन लाभकारी हो सकता है.
जरूरी सावधानियां -
देशी भारतीय गाय का गौमूत्र ही लाभकारी होता है. अगर गाय गर्भवती है. इसके अलावा पूरी तरह स्वस्थ गाय के मूत्र का ही सेवन करना चाहिए. जो गायें प्रतिदिन जंगल में घास चरने जाती हैं, उनका मूत्र अपेक्षाकृत ज्यादा लाभकारी होता है. इसके अलावा एक वर्ष के भीतर के गाय के बच्चे का मूत्र सर्वाधिक फायदेमंद बताया जाता है. गौमूत्र से रोगग्रस्त शरीर की मालिश भी की जाती है, लेकिन मालिश के लिए प्रयोग किया जाने वाला गौमूत्र अधिकतम 7 दिन पुराना ही बेहतर होता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसमें दी गई जानकारियों को किसी बीमारी के इलाज या चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इस लेख में बताए गए टिप्स पूरी तरह से कारगर होंगे या नहीं इसका हम कोई दावा नहीं करते है, इसलिए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.