अकसर कुछ लोग शौक एवं श्रद्धा वश भी नये पर्व सेलिब्रेट करते हैं, जिसे उन्होंने कभी नहीं किया होता है. लेकिन वे उन नियमों से अनजान होने के कारण उसका सही तरीके से पालन नहीं करते. ऐसा ही एक आध्यात्मिक पर्व है भाद्रपद की गणेश चतुर्थी, जिसे गणेश जयंती के नाम से भी जाना जाता है. बहुत से लोग गणेश उत्सव सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन मूर्ति स्थापना से लेकर पूजा एवं मूर्ति विसर्जन के नियमों से वे अनजान होते हैं, और अपनी इच्छा अनुसार गणपति बिठाते हैं, और पूजा-पाठ के बाद विसर्जन कर देते हैं. ध्यान रहे गणेश जी जितने भोले-भाले हैं, उतने ही क्रोधी देव के रूप में भी जाने जाते हैं. इसलिए उनकी पूजा और विसर्जन में जरूरी नियमों एवं परंपराओं को नजरअंदाज न करें. आइये जानते हैं गणपति विसर्जन के कुछ विशिष्ठ नियमों की बात करते हैं.
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त
परंपरानुसार गणपति प्रतिमा का विसर्जन स्थापना से डेढ़ दिन, तीसरे दिन, पांचवें दिन, सातवें दिन और 10 वें दिन किया जाता है. मगर अधिकांश लोग या ज्यादातर गणेश मंडल वाले अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश-विसर्जन की परंपरा का निर्वाह करते हैं. आचार्य भागवत जी महाराज यहां बता रहे हैं, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के तीन अत्यंत शुभ मुहूर्त यह भी पढ़ें : Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी के दिन किसकी पूजा करें? जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि इत्यादि!
प्रातःकालीन मुहूर्तः 07.36 AM मिनट से लेकर 09.10 AM तक
अपराह्न मुहूर्तः (चरा, लाभ, अमृत काल) 12.19 PM से लेकर 05.02 PM तक
संध्याकालीन मुहूर्तः शाम 06.37 PM से 08.02 PM तक
गणेश विसर्जन 2025 नियम
विसर्जन से पूर्व आरती और प्रसादः पूजा-स्थल से गणेश जी की हटाने के बाद उनकी आरती उतारें. बप्पा को 5 मोदक, फल, फूल, सुपारी, चावल, हल्दी, 21 दूर्वा बप्पा को चढ़ाएं. इसे भक्तों में बांटें.
मुख दिशाः गणपति प्रतिमा को विसर्जन हेतु ले जाते समय उनका मुख घर की ओर रखें, ताकि जाने से पहले बप्पा घर को आशीर्वाद दे सकें.
लाल कपड़े से जुड़ा अनुष्ठानः एक नारियल को हल्दी, चावल के साथ लाल कपड़े में लपेटकर ऋद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ के लिए अपनी तिजोरी में सुरक्षित रख दें.
विसर्जन जलः कोशिश करें प्रतिमा को घर में ही स्वच्छ बाल्टी में पानी भरकर विसर्जन प्रक्रिया पूरी करें.
पर्यावरण की शुद्धता के लिए यह जरूरी है. इसे पौधों में डाल दें. विसर्जन से पहले घड़ी की दिशा में प्रतिमा की 3 बार परिक्रमा करें.
मंत्र और जपः विसर्जन से पहले 3 बार घड़ी की दिशा में परिक्रमा लगाएं. इस के बाद बप्पा का विसर्जन भक्ति और आनंद के साथ ‘गणपति बप्पा मोरया, पुरच्या वर्षी लवकर या’ अथवा ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के जयकारे लगाएं.
घर-परिवार के लिए आशीर्वादः बप्पा को विदाई देने से पहले उनके चरणों में झुक कर घर एवं परिवार की सुरक्षा, सेहत, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मांगे.
विसर्जन स्थल से क्या लाएः विसर्जन के बाद उस स्थल की थोड़ी सी रेत लाकर प्रतिमा वाली जगह पर रखें. उस स्थल पर पूरी रात एक दीप जलाकर जरूर रखें.













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