भगवान शिव के अनन्त रूप हैं. वे बेहद भोले हैं, भक्तों की पूजा से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन वे उतने ही विध्वंसक भी हैं, उनका एक ऐसा ही रूप रुद्र अवतार है. इस बात की पुष्टि शिव पुराण में भी की गई है. लेकिन यहां भी भक्तों के लिए वह विध्वंसक नहीं हैं, यही वजह है कि अधिकांश भक्त सावन के किसी एक सोमवार को रुद्राभिषेक अनुष्ठान अवश्य करवाते हैं.
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सावन मास में रुद्राभिषेक अनुष्ठान कराने से भगवान शिव जातक पर प्रसन्न होते हैं और उनकी सारी कामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं. ज्योतिषाचार्य श्री संजय शुक्ल श्रावण के पहले सोमवार पर रुद्राभिषेक के नियम, विधि और महात्म्य के बारे में बता रहे हैं. ये भी पढ़े :Sawan Somvar 2024 HD Images: हैप्पी सावन सोमवार! महादेव के इन शानदार WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Wallpapers को भेजकर दें बधाई
रुद्राभिषेक अनुष्ठान का लाभ
मान्यता है कि किसी की कुंडली में चंद्र ग्रह अशांत हो तो उसे मानसिक चिंताओं एवं तनाव का सामना करना पड़ता है. ज्योतिषाचार्य संजय शुक्ल के अनुसार अगर आप इस तरह की पीड़ा से गुजर रहे हैं, अथवा कोई और समस्या से ग्रस्त हैं, और तमाम उपाय करने के बाद भी आप शांति प्राप्त नहीं हो रही है तो रुद्राभिषेक अनुष्ठान अवश्य करवा लेना चाहिए. भगवान श्रीराम भी रावण पर विजय प्राप्ति के लिए लंका रवाना होने से पूर्व रामेश्वरम में रुद्राभिषेक पूजा की थी. यद्यपि रावण भी शिवजी का अनन्य भक्त था, लेकिन शिवजी ने धर्म की अधर्म पर जीत का आशीर्वाद श्रीराम को दिया था.
रुद्राभिषेक पूजा विधि
रुद्राभिषेक पूजा में शिवलिंग होना आवश्यक है. संभव हो तो रुद्राभिषेक शिव मंदिर या किसी पवित्र स्थान पर ही करें. यदि घर में रुद्राभिषेक करना चाह रहे है तो शिवलिंग की स्थापना उत्तर दिशा में करें. रुद्राभिषेक सदैव पूर्व दिशा में मुख करके करें. शिवलिंग के साथ पूर्व दिशा में एक चौकी पर गणेशजी एवं नवग्रहों की फोटो/मूर्ति अथवा प्रतीकात्मक रूप से नौ अनाज रखें. रुद्राभिषेक शुरू होने से पहले ही पूजन सामग्री एवं अन्य तैयारियां कर लें.
रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से पहले भगवान गणेशजी की पूजा अवश्य करें, तभी रुद्राभिषेक का प्रतिफल मिलेगा. भगवान गणेश को तिलक, अक्षत, फूल, नैवेद्य, दूर्वा और दक्षिणा अर्पित करें. अब साथ नवग्रह की पूजा करें. शिवजी को चंदन का तिलक लगाएं. बिल्वपत्र पर चन्दन से ॐ बनाकर भगवान शिव को अर्पित करें. रुद्राभिषक पूजा में कई मंत्रों का उच्चारण होता है अतः पूजा अनुभवी पंडित द्वारा ही कराएं।
अनुष्ठान के लिए आवश्यक सामग्री
शुद्ध जल, गंगाजल घी, पान, सुपारी, गुलाब का फूल, नारियल, गन्ने का रस, दूध, दही, शहद, गुलाबजल, कपूर, श्रृंगी, बिल्वपत्र, मेवा, मिठाई, दीपक, बत्ती, अगरबत्ती, धूप, मौली, भांग, धतूरा इत्यादि.
रुद्राभिषेक अनुष्ठान के नियम!
रुद्राभिषेक अनुष्ठान के तहत भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान शिव का यह अनुष्ठान किसी योग्य पुरोहित से ही करवानी चाहिए. रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रुद्र अवतार की पूजा की जाती है. पूजा के नियमों के अनुसार रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग को पवित्र स्नान करवाकर पूजा-अनुष्ठान की जाती है. यह रुद्राभिषेक छह प्रकार से किया जाता है. प्रथम जल से अभिषेक, द्वितीय शहद से अभिषेक, तृतीय दही से अभिषेक, चौथा दूध से अभिषेक, पांचवा शुद्ध घी से अभिषेक इसके पश्चात छठा अभिषेक पंचामृत से करना चाहिए.