सूख रहा गंगा का जल, 1300 साल में सबसे गंभीर सूखा; पानी के घटते फ्लो पर IIT की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता
Ganga River | PTI

नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोगों की जीवनरेखा गंगा नदी अपने सबसे गंभीर सूखे दौर का सामना कर रही है. आईआईटी गांधीनगर (IIT Gandhinagar) और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना (University of Arizona) के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया है कि पिछले 1300 साल में इस साल गंगा नदी सबसे गंभीर सूखे का सामना कर रही है. इस अध्ययन में भविष्य में जलवायु परिवर्तन के चलते गंगा में बड़े हाइड्रोलॉजिकल बदलाव होने की चेतावनी दी गई है. अध्ययन के मुताबिक, इस क्षेत्र की जल सुरक्षा, कृषि और विद्युत उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है.

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IIT गंधीनगर और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान 1300 साल के आंकड़ों और मॉडलों के जरिए गंगा नदीं के फ्लो की स्टडी की. इस दौरान उन्होंने पता चला कि 1990 के दशक से गंगा नदी का फ्लो पहले के मुकाबले तेजी से कम हुआ है.

इस स्टडी में यह भी पता चला कि साल 2004 से लेकर 2010 के बीच गंगा नदी सूखे की गंभीर समस्या से जूझ रही थी. रिसर्च में बताया गया है कि गंगा बेसिन 1991 से 2020 के बीच दो बार गंभीर सूखे से गुजरी थी, जिसमें एक बार 1991 से 1997 और दूसरी बार 2004 से लेकर 2010 था. रिसर्च के मुताबिक पिछले 30 सालों में गंगा के जल प्रवाह में जो गिरावट दर्ज हुई है, वह 1300 साल के रिकॉर्ड में सबसे भयानक है.

क्यों घट रहा गंगा का पानी?

अध्ययन में यह सामने आया कि गर्मी बढ़ने और कमजोर मानसून की वजह से बारिश में लगभग 10% की कमी हुई है, जबकि पश्चिमी क्षेत्रों में यह कमी 30% से ज्यादा है. प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ मानव गतिविधियां जैसे अत्यधिक भूजल निकासी गंगा के प्रवाह को और कमजोर कर रही हैं.

भविष्य में खतरे और संभावित प्रभाव

शोध में चेतावनी दी गई है कि यदि बारिश में कमी और बढ़ते तापमान का प्रभाव साथ-साथ आए तो गंगा का प्रवाह 5% से 35% तक घट सकता है. इससे पेयजल, सिंचाई, बिजली उत्पादन और जल परिवहन पर गंभीर असर पड़ सकता है. 2015-2017 के दौरान गंगा के कम पानी ने पहले ही 12 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया था.

समुद्री इकोसिस्टम पर असर

गंगा के घटते ताजे पानी के प्रवाह से बंगाल की खाड़ी में पोषक तत्वों की आपूर्ति कम हो रही है, जिससे दुनिया के सबसे उत्पादक समुद्री इकोसिस्टम में खतरा पैदा हो रहा है.

क्या है समाधान?

शोधकर्ताओं का कहना है कि गंगा बेसिन की जल सुरक्षा इस बात पर निर्भर करेगी कि जलवायु विज्ञान और नीति, साथ ही स्थानीय जल प्रबंधन को कैसे प्रभावी रूप से लागू किया जाता है. भूजल के सतत प्रबंधन और बेहतर मानसून पूर्वानुमान के बिना गंगा की सूखापन की समस्या नियंत्रित नहीं की जा सकती.