Sawan Somvar 2022: करोड़ों शिव भक्तों के लिए आज सावन का दूसरा सोमवार कुछ खास साबित होने वाला है. इस दिन तीन बेहद शुभ योग बन रहे हैं. आइये जाने इन योगों के बीच कैसे करें भगवान शिव की पूजा-अनुष्ठान, ताकि उसका पूरा पुण्य-फल आपको भी प्राप्त हो. यह भी पढ़े: Sawan 2022 Wishes: भगवान शिव के अतिप्रिय सावन मास पर ये विशेज WhatsApp Stickers, GIF Images और HD Wallpapers के जरिए भेजकर दें शुभकामनाएं
सावन के दूसरे सोमवार का महात्म्य
हिंदी पंचांग के अनुसार इस वर्ष सावन का दूसरा सोमवार 25 जुलाई 2022 को पड़ रहा है. इसी दिन सोम प्रदोष भी होने से इस दिन की शुभता बढ़ गई है, क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार ये दोनों तिथियां यानी सोमवार और प्रदोष भगवान शिव को समर्पित मानी जाती हैं. सोने पे सुहागा यह कि इसी दिन तीन और योगों का संयोग भी निर्मित हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र कहता है कि इस तरह के संयोग में अगर शिवजी औऱ माँ पार्वती की संयुक्त पूजा की जाए तो हर तरह के संकट टल जाते हैं, और घर तथा दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है.
ये हैं सावन के सोमवार के तीन खास योग
ज्योतिष शास्त्री पंडित सुनील दवे बताते हैं, कि आज सावन के दूसरे सोमवार के दिन तीन विशेष योग बन रहे हैं. इनमें पहला सर्वार्थ सिद्धि योग, दूसरा अमृत योग और तीसरा ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है. जब भी ये तीनों योगों का संयोग सावन मास के सोमवार के साथ होता है, तो भगवान शिव एवं माँ पार्वती की संयुक्त पूजा अनुष्ठान करने से कई विशेष पुण्य-फलों की प्राप्ति होती है. आइये जानें ये योग कब से कब तक बन रहे हैं.
सावन सोमवार (25 जुलाई 2022) के शुभ मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग 05.38 AM (25 जुलाई) से 01.14 PM (26 जुलाई) तक
अमृत सिद्धि योगः 05.38 AM (25 जुलाई) से 01.14 PM (26 जुलाई) तक
ध्रुव योगः 02.01 PM (24 जुलाई) से 03.03 PM (25 जुलाई) तक
अभिजीत मुहूर्तः 11.48 AM से 12.41 PM (25 जुलाई) तक
सावन मास के दूसरे सोमवार की पूजा अनुष्ठान के नियम
सावन के दूसरे सोमवार के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर लें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव के व्रत एवं अनुष्ठान का संकल्प लें, और इच्छित कामनाओं की अपील करें. घर के मंदिर के समक्ष एक छोटी सी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर एक शिवलिंग स्थापित करें साथ ही शिव-पार्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर भी रखें स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्वलित करें. सर्वप्रथम दूध, घी, गंगाजल, शहद और दही से तैयार पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें.
इसके साथ ही ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप भी करते रहें. इसके बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, सफेद फूल, धतूरा, मदार के फूल आदि चढ़ाएं. माँ पार्वती को सोलह श्रृंगार की सारी चीजें अर्पित करें. पूजा के अंत में शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव आरती उतारें.
भगवान शिव की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा, ‘ॐ जय शिव...’
एकानन चतुरानन पंचानन राजे,
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे, ‘ॐ जय शिव...’
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे,
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे, ‘ॐ जय शिव...’
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी,
चन्दन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ‘ॐ जय शिव...’
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे,
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगें, ‘ॐ जय शिव...’
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता,
जगकर्ता जगभर्ता जग संहारकर्ता, ‘ॐ जय शिव...’
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका, ‘ॐ जय शिव...’
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी,
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी, ‘ॐ जय शिव...’
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे, ‘ॐ जय शिव...’
इसके बाद प्रसाद का वितरण करें. अगले दिन स्नान-दान के पश्चात व्रत का पारण करें.