International Labour Day 2019: एक मजदूर भी अपने जीवन को बना सकता है खुशहाल, श्रमिकों को पता होने चाहिए उनके ये अधिकार
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस 2019 (Photo credits: File Image)

Happy Workers' Day: एक मजदूर देश के निर्माण एवं विकास में उसका अहम योगदान होता है. मजदूरों के बिना किसी भी औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती, लेकिन क्या कभी हमने जानने की कोशिश की कि बदले में मजदूर को क्या मिलता है? आज भी भारत भर में मजदूरों से जितना काम लिया जाता है, उन्हें सही कीमत हम नहीं दे पातें, ना ही उन्हें विशेष सुविधाएं ही मिल पाती हैं. आजादी के 72 वर्ष पश्चात भी मजदूर तमाम संकटों से जूझ रहा है. इसकी बड़ी वजह मालिकों द्वारा मजदूरों का शोषण हो सकती है, लेकिन इससे भी बड़ी वजह है मजदूरों का अशिक्षित होना वे अशिक्षित हैं इसीलिए उन्हें इस बात का पता ही नहीं चल पाता कि सरकार ने उनके लिए क्या क्या सुविधाएं मुहैया करवा रखी है.

चूंकि वे शिक्षित नहीं होते लिहाजा सरकारी सुविधाओं के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं होता. यहां हम उनके हित स्वरूप संवैधानिक सुविधाओं पर बात करेंगे.

मजदूरों के अधिकार

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 में विभिन्न कार्यों के लिए न्यूनतम मजदूरी की दरें तय हैं.

1- मजदूरी के संदर्भ में कोई भी व्यक्ति अपने नजदीकी श्रम कार्यालय से न्यूनतम मजदूरी की जानकारी प्राप्त कर सकता है.

2- अगर नियोक्ता न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी दे रहा है तो श्रम निरीक्षक के पास शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

3- अगर कोई मजदूर न्यूनतम मजदूरी से कम रकम पर काम करने को तैयार हो जाए, तो भी नियोक्ता का कर्तव्य है कि वह उसे न्यूनतम मजदूरी दे. यह भी पढ़ें: International Labour day 2019: 1 मई का दिन है दुनियाभर के श्रमिकों के लिए बेहद खास, जानिए कैसे हुई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत

मजदूरी का भुगतान

1- मजदूरी का भुगतान हमेशा नकद और पूरा होना चाहिए.

2- भुगतान हर हालत में अगले महीने की दस तारीख तक हो जानी चाहिए.

3- मजदूरी में कोई कटौती कानून के मुताबिक ही होनी चाहिए.

समान कार्य के लिए समान मजदूरी समान वेतन अधिनियम, 1976 में एक ही तरीके के काम के लिए समान वेतन का प्रावधान है.

1- कोई महिला अपने साथ काम करने वाले पुरुष जैसा काम करती है तो उसे पुरुष के समान वेतन ही देना होगा.

2- महिला (कानूनी पाबंदी वाली नौकरियों को छोड़कर) और पुरुष में नौकरी में भर्ती और सेवा शर्तों में कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा.

काम करने के निश्चित घंटे

1- नौ घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जाना चाहिए.

2- नौ घंटे से ज्यादा काम के लिए, अतिरिक्त मजदूरी दी जानी चाहिए.

3- कर्मचारी को सप्ताह में एक दिन वेतन-सहित अवकाश जरुर मिलनी चाहिए.

कर्मचारियों को मुआवजा

कामगार मुआवजा अधिनियम, 1923 के अंतर्गत कर्मचारियों को मुआवजा पाने का अधिकार है.

1- कर्मचारी को ड्यूटी के दौरान किसी दुर्घटना में चोटिल होने पर मुआवजा पाने का अधिकार.

2- काम पर आते या काम से घर जाते समय दुर्घटना होने पर भी कर्मचारी को मुआवजा पाने का अधिकार.

3-काम की प्रकृति की वजह से अगर कर्मचारी को कोई बीमारी होती है तो कर्मचारी को मुआवजा पाने का अधिकार है.

4- बीमारी काम छोड़ने के दो साल बाद लगती है तो कर्मचारी को मुआवजे का अधिकार नहीं है.

5-अगर दुर्घटना या बीमारी से कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके आश्रित संबंधी को मुआवजा दिया जायेगा.

6-नियोक्ता का काम करने के दौरान दुर्घटना होने पर भी मुआवजा पाने का अधिकार.

मुआवजे का हकदार

1- फैक्ट्रियां, खान, रेलवे, डाक- तार, निर्माण, इमारतों का रख-रखाव,

2- किसी इमारत में इस्तेमाल, परिवहन तथा बिक्री के लिए सामान रखना, जहां 20 से ज्यादा कर्मचारी हों.

3- टैक्टर अथवा अन्य मशीनों से खेती-बाड़ी, इसमें मुर्गी फार्म, डेयरी फार्म आदि शामिल हैं.

4- बिजली की फिटिंग के रख-रखाव का काम.

किस चोट पर मुआवजा

1- ऐसी चोट जिससे मौत हो जाए, शऱीर का कोई अंग कट जाए या आंख की रोशनी चली जाय आदि.

2- चोट की वजह से लकवा या अंग-भंग जैसी हालत हो जाए, जिसकी वजह से व्यक्ति रोजी-रोटी कमाने लायक नहीं रहे.

3- ऐसी चोट जिसकी वजह से कर्मचारी कम से कम तीन दिन तक काम करने के लायक ना रहे।

किसान किस चोट पर मुआवजा नहीं

1- शराब पीने या नशीली चीजों के सेवन से दुर्घटना हो.

2- कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बने किसी नियम या निर्देश का जान-बूझकर उल्लंघन करने से हुई दुर्घटना. 3-कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उपलब्ध उपकरणों का जानबूझकर इस्तेमाल नहीं करने से हुई दुर्घटना.

मुआवजे लिए प्रमाण

1- कर्मचारी अपनी मेडिकल जांच करायें और जांच की रिपोर्ट की कॉपी अपने पास रखें.

2- कर्मचारी दुर्घटना की रिपोर्ट नजदीकी थाने में लिखवायें. रिपोर्ट में चोट का पूरा ब्योरा दें.

3- दुर्घटना के चश्मदीद गवाह होने चाहिए.

महिला कर्मचारियों को विशेष अधिकार

1- फैक्ट्रियों में महिलाओं के लिए अलग प्रसाधन कक्ष होना चाहिए.

2- अगर किसी फैक्ट्री में 30 से ज्यादा महिला कर्मचारी हों तो वहां बच्चों के लिए शिशुगृह की व्यवस्था होनी चाहिए.

3- फैक्ट्री में काम प्रातः 6 से शाम 7 बजे के बीच होना चाहिए.

4- मशीन में तेल डालने या साफ कराने का काम नहीं कराया जाना चाहिए.

5- एक सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जाना चाहिए.

मुआवजे का दावा

1- दुर्घटना होने पर सबसे पहले नियोक्ता को नोटिस दें, नोटिस में कर्मचारी का नाम, चोट के कारण , तारीख और स्थान लिखें.

2- अगर नियोक्ता पर्याप्त मुआवजा नहीं देता है तो कर्मचारी लेबर कमिश्नर को आवेदन दें.

3- आवेदन में कर्मचारी का पेशा, चोट की प्रकृति, चोट की तारीख, स्थान, नियोक्ता का नाम, पता नियोक्ता को नोटिस देने की तिथि, अगर नियोक्ता को नोटिस नहीं भेजा हो तो नोटिस नहीं भेजने का कारण का उल्लेख करें.

महिलाओं का मातृत्व लाभ

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में महिला कर्मचारियों के लिए कुछ विशेष लाभ दिए गए हैं.

1- प्रसव के पहले और बाद में छह-छह सप्ताह का पूरे वेतन का अवकाश (12 सप्ताह का अवकाश प्रसव के बाद भी लिया जा सकता है, इस अवधि का वेतन दे दिया जाना चाहिए)

2- गर्भस्राव हो जाने पर छह सप्ताह का अवकाश. यह भी पढ़ें: Labour Day 2019 Wishes and Messages: अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर WhatsApp Stickers, SMS, Facebook Greeting के जरिए सभी को भेजें ये मैसेजेस और दें शुभकामनाएं

3- गर्भावस्था, प्रसव या गर्भस्राव की वजह से अस्वस्थ हो जाने पर वेतन सहित एक महीने का अतिरिक्त अवकाश.

4- अगर नियोक्ता के संस्थान में प्रसव से पहले व प्रसव के बाद की चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं तो चिकित्सा बोनस दिया जाना चाहिए.

5- शिशु के 15 महीने का होने तक रोजाना काम के बीच सामान्य अवकाश के अलावा, शिशु को स्तनपान कराने के लिए दो बार ब्रेक दिया जाना चाहिए.

6- गर्भावस्था के अंतिम महीने में महिला कर्मचारी से भारी काम नहीं कराया जाना चाहिए.

7- महिला की प्रसव के बाद मौत हो जाती है तो नियोक्ता को उसके परिवार को 6 सप्ताह का वेतन देना होगा.

गर्भावस्था का नोटिस

महिला कर्मचारी को प्रसव की संभावित तिथि, छुट्टी लेने की संभावित तिथि और प्रसव के दौरान किसी दूसरी जगह नहीं करने के विवरणों के साथ गर्भावस्था का नोटिस देना चाहिए.

अगर किसी महिला ने गर्भावस्था का नोटिस नहीं दिया है तो इस आधार पर नियोक्ता उसे मातृत्व से जुड़े लाभ और सुविधाएं देने से मना नहीं कर सकता है.