Happy Hanuman Jayanti 2019: हनुमान जी (Hanuman ji) को भगवान ब्रह्मा समेत सभी देवों ने अपनी-अपनी शक्ति प्रदान की थी, साथ ही उन्हें अमरता का वरदान भी दिया था, ताकि कलियुग (Kalyug) में भी वह धर्म की रक्षा कर सकें. विद्वान इस बात को लेकर विश्वस्त हैं कि इस कलियुग में भी भगवान हनुमान सशरीर (Hanuman ji is Still Alive)भक्तों और धर्म की रक्षा कर रहे हैं. कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) कल्कि के रूप में अवतार लेंगे, तब हनुमान समेत परशुराम, अश्वथामा, कृपाचार्य, विश्वामित्र, विभीषण एवं राजा बलि भी सार्वजनिक रूप से प्रकट होंगे. ये वे सात हमारे महापूर्वज हैं, जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है. किसी भी धार्मिक ग्रंथों में इनकी मृत्यु नहीं दर्शाई गयी है.
हमारे पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि धर्म की स्थापना और रक्षा का कार्य चार अहम शक्तियों दुर्गा, भैरव, हनुमान और कृष्ण के हाथों में है, जैसा कि तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में भी लिखा है...'चारों जुग परताप तुम्हारा' यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: साल में दो बार मनाया जाता है हनुमान जयंती का पावन पर्व, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
हनुमान जी की इच्छा थी कि वे चिरकाल जीवित रहें
लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने पर जब श्रीराम ने लंका युद्ध के सहयोगी विभीषण, सुग्रीव और अंगद के प्रति कृतज्ञता दर्शाते हुए उन्हें उपहार देकर सम्मान कर रहे थे, तब हनुमान जी ने श्रीराम जी से याचना की थी...
यावद् रामकथा वीर चरिष्यति महीतले
तावच्छरीरे वत्स्युन्तु प्राणामम न संशय:
प्रभु मुझे आशीर्वाद दीजिये कि इस पृथ्वी पर जब तक रामकथा हो, मेरे शरीर में प्राण रहे, ताकि मैं आपका श्रीगान करता रहूं. हनुमान जी की याचिका सुनकर श्रीराम ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा था...
'एवमेतत् कपिश्रेष्ठ भविता नात्र संशय:।
चरिष्यति कथा यावदेषा लोके च मामिका तावत्
ते भविता कीर्ति: शरीरे प्यवस्तथा।
हे हनुमान, -ऐसा ही होगा, इस धरा पर जब तक मेरी कथा होती रहेगी, तम्हारे यश और कीर्ति के साथ-साथ देह में प्राण रहेंगे. जब तक यह लोक और इस लोक के वासी हैं, तब तक मेरी कथाएं भी सुनी जाती रहेंगी.' यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: जानिए क्यों बाल ब्रह्मचारी होते हुए भी हनुमान जी को करना पड़ा विवाह, सूर्य पुत्री से हुई थी उनकी शादी
तीनों युग में हनुमान जी की उपस्थिति के प्रमाण
त्रेतायुग: पवन पुत्र हनुमान जी ने त्रेतायुग में माता अंजनी के गर्भ से केसरी-नंदन के रूप में जन्म लिया और पूरी उम्र राम-भक्त के रूप में श्रीराम का साया बनकर उनके साथ रहे. वाल्मीकि 'रामायण' में भी मारुति से हनुमान जी तक उनके संपूर्ण चरित्र का उल्लेख है.
द्वापर युग: श्रीकृष्ण एवं महाभारत युग यानी द्वापर में भी हनुमानजी की उपस्थिति के प्रमाण मिलते हैं. एक बार जब पांच पाण्डव में एक भीम को अपनी ताकत पर बहुत घमंड हो गया था, तब हनुमान जी ने उनका घमंड तोड़ा था. कहा जाता है कि एक बार भीम जब अपने ताकत पर गुरूर करते हुए कहीं जा रहे थे, तब एक वानर को रास्ते में पूंछ फैलाकर सोते हुए देखा, तो कहा ऐ वानर पूंछ हटा मुझे आगे जाना है. तब हनुमान ने लेटे-लेटे कहा था, बेटा बूढा हो गया हूं, मैं उठ नहीं सकूंगा, तुम पूंछ हटाकर चले जाओ. कहा जाता है कि अपनी पूरी शक्ति लगाने के बाद भी भीम वयोवृद्ध वानर की पूंछ हिला नहीं सके थे. त्रेतायुग में हनुमान जी की उपस्थिति के और भी कई प्रसंग हैं.
कलियुग में हनुमान: कलियुग में चित्रकूट की घाट पर तुलसीदास को हनुमान जी की उपस्थिति का आभास उस समय हुआ था, जब तुलसी दास जी को श्रीराम का साक्षात दर्शन हुआ था. जिसे देख हनुमान जी गदगद हो उठे थे. ये पंक्तियां हनुमान जी ने ही तुलसीदास जी से कही थीं,
'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर।
तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।'
महान संतों का मानना है कि यदि मनुष्य सच्ची श्रद्धा और पूर्ण आस्था से हनुमान जी का ध्यान करे तो तुलसीदास जी की तरह उसे भी हनुमान जी का सशरीर दर्शन हो सकता है. यह भी पढ़ें: Happy Hanuman Jayanti 2019: सदियों पूर्व ‘हनुमान चालीसा’ में दर्ज थी सूरज से पृथ्वी की दूरी!
कलियुग में हनुमान जी का प्रवास
श्रीमद् भागवत में उल्लेखित है कि हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं. कहा जाता है कि अपने अज्ञातवास के समय पंच पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे, तब गंधमादन पर्वत की कंदराओं में उन्होंने हनुमान को विश्राम करते देखा. मान्यता है कि आज भी हनुमान जी गंधमादन में ही प्रवास कर रहे हैं. ऐसा कहा जाता है कि आज भी जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन-रामायण पाठ होता है, वहां महाबलशाली हनुमान गुप्त रूप से प्रस्तुत हो जाते हैं.
'अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ।।'
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.