सीरियाई डॉक्टर लौट गए तो कितना परेशान होगा जर्मनी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में हजारों सीरियाई डॉक्टर काम करते हैं. बशर अल असद की सत्ता खत्म होने के बाद यहां चिंता है कि अगर इनमें से बहुत सारे वतन लौट गए तो जर्मनी का क्या होगा.बीते एक दशक में सीरिया के शरणार्थियों के लिए जर्मनी एक प्रमुख ठिकाना बन गया है. इस महीने जब विद्रोहियों ने सीरिया की सत्ता पर कब्जा कर लिया तो जर्मनी के कई नेताओं ने कम से कम कुछ सीरियाई लोगों के वतन वापसी को बढ़ावा देने की चर्चा तुरंत शुरू कर दी. हालांकि इसी देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनका कहना है कि सीरिया से आने वालों में पढ़े लिखे कुशल और प्रशिक्षित लोग भी हैं, जिनके जाने से जर्मनी पर बुरा असर होगा. खासतौर से डॉक्टर और अस्पताल में काम करने वाले दूसरे कर्मचारियों की चर्चा जोरों पर है.

जर्मनी में कितनी दिक्कत होगी

पिछले हफ्ते जर्मनी के आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने कहा, "स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सारे सीरियाई लोग अगर हमारा देश छोड़ कर चले जाएं तो यह क्षेत्र धंस जाएगा." फेजर ने यह भी कहा, "हमारे लिए यह जरूरी है कि जो सीरियाई लोग यहां हैं, जिनके पास नौकरी है और जो यहां घुल मिल गए हैं, अपराध से मुक्त हैं और जिनके बच्चे स्कूल जाते हैं, उन्हें हम यहीं रहने के लिए कहें और वे हमारी अर्थव्यवस्था के लिए यहां बने रहें."

सीरियाई लोग जर्मनी के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा योगदान दे रहे हैं. यहां खाली पदों को भरना एक बड़ी चुनौती बन गई है. एक तरफ बूढ़ी होती आबादी के लिए ज्यादा लोगों की जरूरत है तो दूसरी तरफ कुशल कामगारों की कमी.

जर्मनी के अस्पतालों में भाषा के चलते होती है दिक्कत

जर्मन हॉस्पीटल फेडरेशन के प्रमुख गेराल्ड गास का कहना है कि यहां सीरियाई डॉक्टर विदेशी डॉक्टरों की जमात में अकेले सबसे बड़ी भागीदारी दे रहे हैं. इनकी हिस्सेदारी 2-3 फीसदी तक है.

जर्मनी में कितने सीरियाई डॉक्टर हैं

तकरीबन 5 हजार सीरियाई डॉक्टर तो केवल अस्पतालों में ही काम कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लाउटरबाख का कहना है कि जर्मनी में सीरियाई डॉक्टरों की कुल संख्या 6,000 से ऊपर है. उन्होंने जर्मनी के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सीरियाई डॉक्टरों को "अपरिहार्य" बताया.

शुक्रवार को प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 5,000 से ज्यादा सीरियाई डॉक्टर जर्मन स्वास्थ्य सेवा में काम करते हैं. इनमें बहुत से ग्रामीण इलाकों में हैं और उनकी जगह को किसी और से भर पाना बहुत मुश्किल होगा.

गास ने कहा, "ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अगर सारे सीरियाई डॉक्टर लौट गए तो मरीजों की देखभाल का इंतजाम यहां ढह जाएगा." गास के मुताबिक, "निश्चित रूप से हमारे सामने यह स्थिति भी है कि ये लोग अकसर अलग अलग जगहों पर छोटे समूहों में काम करते है," वहां से इनके जाने पर स्थानीय परिसरों को बंद करना पड़ेगा.

क्या लौटना चाहते हैं सीरियाई डॉक्टर

गास का कहना है कि अस्पताल चलाने वालों को सीरियाई डॉक्टरों से जो जानकारी मिल रही है वह बहुत अलग है. जिन डॉक्टरों के ज्यादातर रिश्तेदार सीरिया में ही हैं वो स्थिति में सुधार होने पर तुरंत लौट जाना चाहते हैं. दूसरी तरफ ऐसे डॉक्टर भी हैं जो जर्मनी की जीवनशैली में रच बस गए हैं और सहज महसूस करते हैं, वे यहीं रहना चाहते हैं. हालांकि वर्तमान में, "सीरिया की तरफ बड़ी संख्या में जाने की प्रवृत्ति अभी नहीं दिख रही है."

दिवालिया होने की कगार पर जर्मनी के कई अस्पताल

बहुत से सीरियाई डॉक्टरों ने जर्मनी को अपना घर बना लिया है. बर्लिन के बाहर नाउएन के एक अस्पताल की डॉ. हीबा अलनायेफ भी उनमें एक हैं. उन्होंने बताया कि बीते 10 दिनों में उनसे कई बार पूछा गया, "क्या सारे सीरियाई लोग अब वापस जाएंगे?" डॉ. अलनायेफ का कहना है, "मैं नहीं जानती, कुछ लोग जाना चाहते हैं, लेकिन यह बहुत मुश्किल और अनिश्चित है."

अलेप्पो में जन्मीं डॉ. अलनायेफ ने जीवन का ज्यादातर वक्त सीरिया से बाहर ही बिताया है. 2016 में वह स्पेन से जर्मनी आईं. उनका कहना है कि वो इसके बारे में सोचती हैं लेकिन, "मेरे पास अब यहां भी एक देश है." डॉ अलनायेफ ने यह भी कहा कि सीरियाई डॉक्टर और फार्मासिस्ट जर्मनी और सीरिया के बीच सहयोग विकसित करना चाहेंगे. उन्होंने कहा, "जर्मनों को विशेषज्ञ चाहिए, सीरिया को मदद चाहिए...पुनर्निर्माण चाहिए, वहां अब सब कुछ ध्वस्त हो चुका है. मेरा ख्याल है कि हम साथ आकर अच्छे से दोनों समुदायों के लिए काम कर सकते हैं."

सीरियाई डॉक्टरों की क्या मुश्किलें हैं

विदेशी डॉक्टरों से कैसे पेश आता है जर्मनी

अलनायेफ ने बताया कि जर्मन स्वास्थ्य सेवा मुश्किल में पड़ जाएगी अगर सीरिया के कुछ डॉक्टर भी यहां से जाने का फैसला कर लेते हैं. उन्होंने कहा, "हमारे पास लोग कम हैं, काम बहुत ज्यादा है, हम कई डॉक्टरों का काम कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि जर्मनी ने "एक सुरक्षित जगह" तो दी लेकिन भेदभाव और नस्लभेद का मुद्दा बना हुआ है और समाज में पूरी तरह शामिल होना एक चुनौती है.

40 साल के अयहाम दराइश अलेप्पो से जर्मनी 2007 में मेडिसिन की पढ़ाई करने आए. वह 2021 से बर्लिन में प्रैक्टिस करते हैं. डॉ दराइश का कहना है, "जहां तक मैंने सुना है मेरे सर्किल का कोई दोस्त वापस नहीं जाना चाहता. उन लोगों के पास यहां परिवार है, वे यहां प्रैक्टिस करते हैं और उनका समाज भी है." जर्मन लोगों में इस बात की चिंता कि बहुत से लोग लौट जाएंगे, "थोड़ा बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है जो उचित नहीं है."

डॉ. दराइश ने यह भी कहा कि जर्मनी जिन लोगों को प्रशिक्षित करता है, वो इसी देश में रहें इसके लिए उन्हें और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है ताकि विदेशी लोगों से खाली जगहों को भरा जा सके. उन्होंने बताया कि जर्मनी में मेडिकल स्टाफ स्विट्जरलैंड और अमेरिका की तुलना में कम पैसा पाते हैं और काम के घंटे भी नियमित नहीं हैं, साथ ही कर्मचारियों की कमी एक और बड़ी मुश्किल है.

जर्मनी में सीरियाई शरणार्थी

जर्मनी ने 2015 में तकरीबन 10 लाख सीरियाई शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी थी. शुरू में तो उनका खूब स्वागत हुआ लेकिन बड़ी संख्या में उनकी आमद ने समाज में चिंता पैदा की और इसी चिंता ने धुर दक्षिणपंथी राजनीतिक पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के उदय का रास्ता बना दिया.

इंस्टीट्यूट फॉर इंप्लॉयमेंट रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि जर्मनी में 287,000 सीरियाई लोग काम कर रहे हैं. इसके साथ ही बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो हाल के वर्षों में ही यहां आए हैं और भाषा सीख रहे हैं या फिर इंटिग्रेशन कोर्स पूरा करने में जुटे हुए हैं.

सीरिया के पुरुष ज्यादातर परिवहन, ढुलाई, उत्पादन, खानपान, स्वास्थ्य, निर्माण और होटल उद्योग में काम करते हैं. दूसरी तरफ महिलाओं की मौजूदगी ज्यादातर सामाजिक और सांस्कृतिक सेवाओं में है.

एनआर/वीके (एपी, एएफपी)