Guru Tegh Bahadur Sahib Ji Birth Anniversary 2019: सिख धर्म के नौवें गुरु थे गुरु तेग बहादुर साहब, जिन्होंने दुनिया को दिया प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश
गुरु तेग बहादुर जयंती 2019 (Photo Credits: Facebook)

Guru Tegh Bahadur Jayanti 2019: देशभर में 24 अप्रैल 2019 को सिख धर्म (Sikh Religion) के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती (Guru Tegh Bahadur Jayanti) मनाई जा रही है. गुरु तेग बहादुर साहब (Guru Tegh Bahadur Sahib) का जन्म वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को सन 1621 में अमृतसर में हुआ था. उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था. गुरु तेग बहादुर के जन्मोत्सव को ही गुरु तेग बहादुर जयंती के रूप में मनाया जाता है. बचपन में उनका नाम त्यागमल था और बचपन से ही वो संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त और बहादुर स्वभाव के थे. उन्होंने सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण किया. उनके द्वारा रचित 115 पद्म गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मिलित है.

गुरु तेग बहादुर के स्वभाव में शांति, क्षमा, सहनशीलता जैसे गुण भरे हुए हुए थे. उन्होंने दुनिया को प्रेम (Love), एकता (Unity) और भाइचारे (Brotherhood) का संदेश दिया. उनका मानना था कि धर्म का मार्ग ही सत्य और विजय का मार्ग है. चलिए इस बेहद खास मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें.

धर्म के सत्य ज्ञान का किया प्रचार-प्रसार

धर्म के सत्य ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने कई स्थानों का भ्रमण किया. उन्होंने आनंदपुर से कीरतपुर, रोपड़, सैफाबाद, खिआला, कुरुक्षेत्र, कड़ामानकपुर के लोगों को धर्म के सत्य मार्ग पर चलने का उपदेश दिया. इसके बाद वे प्रयाग, बनारस, पटना और असम जैसे क्षत्रों में पहुंचे और लोगों के आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक उद्धार के लिए कई रचनात्मक कार्य किए. उन्होंने भारत के विभिन्न इलाकों में भ्रमण करके लोगों को प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया. धर्म के सत्य ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने वाले गुरु का जिसने भी अहित करने की कोशिश की, उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता और सौम्यता से उसे परास्त कर दिया.

धर्म के मार्ग को बताया सत्य और विजय का मार्ग

गुरु तेग बहादुर सिंह जी के जीवन का प्रथम दर्शन यही था कि धर्म का मार्ग ही सत्य और विजय का मार्ग है. वे ईश्वरीय निष्ठा, समता, करुणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे अद्भुत गुणों के धनी थे. शस्त्र और शास्त्र, संघर्ष और वैराग्य, लौकिक और अलौकिक, रणनीति और आचार-नीति, राजनीति और कूटनीति के साथ त्याग जैसे गुण उनके अंदर कूट-कूट कर भरे हुए थे. यह भी पढ़ें: Guru Gobind Singh Jayanti 2019: गुरु गोबिंद सिंह की 352वीं जयंती, जगमगा उठा अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

धर्म की रक्षा के लिए कर दिए अपने प्राण न्योछावर

गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने कश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिंदुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाए जाने का कड़ा विरोध जताया. सन 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल करने से इंकार करते हुए कहा कि वो शीश कटा सकते हैं लेकिन केश नहीं. इसके बाद औरंगजेब ने सबके सामने उनका शीश कटवा दिया. विश्व के इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है.

गौरतलब है कि मुगल शासक की धर्मविरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के खिलाफ गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान एक अभूतपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी. वे एक ऐसे क्रांतिकारी युग पुरुष थे जिन्होंने मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था. धर्म की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह जी सही मायनो में हिंद की चादर कहलाए.