Guru Gobind Singh Jayanti 2019: सिखों के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी की 352वीं जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है. लोहड़ी (Lohri) के साथ-साथ गुरु गोबिंद सिंह की जयंती का जश्न उत्तरी भारत खासकर पंजाब और हिमाचल प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के नाम से भी जाता जाता है. इस बेहद खास मौके पर देश के विभिन्न इलाकों में प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं और 'जो बोले सो निहाल', 'सत श्री अकाल' 'वाहे-वाहे गुरु गोविंद सिंहजी', 'आपे गुरु चेला' जैसे नारों से पूरा माहौल गूंज उठता है.
गुरु गोबिंद सिंह जयंती के इस खास मौके पर अमृतसर (Amritsar) का स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) भी जगमगा उठा. सिखों के 10वें गुरु की जयंती यानी प्रकाश पर्व के लिए स्वर्ण मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों, दीयों और मोमबत्तियों की रोशनी से सजाया गया. यहां जमकर आतिशबाजी की गई. स्वर्ण मंदिर के बाहर का खूबसूरत नजारा वाकई मन मोह लेने वाला है.
Punjab: #Visuals from Golden Temple in Amritsar on the occasion of 352nd Prakash Parv of Guru Gobind Singh, fireworks seen pic.twitter.com/PXAxlE5N1x
— ANI (@ANI) January 13, 2019
गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) को पूरा किया. खालसा वाणी "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" भी उन्हीं की देन है. बताया जाता है कि खालसा पंथ की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह मुगलों और उनके सहयोगियों से 14 बार लड़े. यह भी पढ़ें: बिहार: गुरु गोबिंद सिंह के 352वें प्रकाशोत्सव के मौके पर निकली प्रभात फेरी, 'जो बोले सो निहाल' से गूंजा पटना
#WATCH: Fireworks at Golden Temple in Amritsar on the occasion of 352nd Prakash Parv of Guru Gobind Singh Ji. #Punjab pic.twitter.com/P8CxYfpX6u
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उन्होंने जीवन जीने के लिए पांच सिद्धांत भी दिए, जिन्हें 'पांच ककार' कहा जाता है. जिसके अनुसार, गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के लिए पांच चीजें अनिवार्य की थीं जैसे- 'केश', 'कड़ा', 'कृपाण', 'कंघा' और 'कच्छा'. माना जाता है कि इनके बिना खालसा वेश पूर्ण नहीं होता है.
गौरतलब है कि गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के दिन देश के सभी गुरुद्वारों में कीर्तन होता है. सुबह प्रभातफेरी निकाली जाती है और लंगर का आयोजन किया जाता है. इस मौके पर गुरुद्वारों के आस-पास खालसा पंथ की झांकियां निकाली जाती हैं और गुरुद्वारों में सेवा की जाती है.