नई दिल्ली, 20 दिसम्बर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अचानक रविवार को सुबह-सुबह यहां रकाबगंज गुरुद्वारे में पहुंच गए. उन्हें अचानक गुरुद्वारा परिसर में देखकर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के लोग भी चौंक गए. उन्होंने उन्होंने इस दौरान सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर (Guru Tegh Bahadur) जी को नमन करते हुए शांति का संदेश दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि मत्था टेक कर उन्होंने बहुत सौभाग्यशाली महसूस किया. गुरु तेगबहादुर ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलदान कर दिया था.
किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी का अचानक गुरुद्वारा पहुंचने को महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है. उनके गुरुद्वारे जाने को लेकर न तो सड़कों पर सिक्योरिटी और न ही बैरेकेडिंग के इंतजाम किए गए थे. आम आदमी की तरह बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा पहुंचकर सभी को चौंका दिया.यह भी पढ़े: दिल्ली हिंसा: एक और शख्स को लगी गोली, पुलिस ने तेगबहादुर अस्पताल कराया भर्ती- अबतक 7 लोगों की हो चुकी है मौत.
गुरुद्वारे के दौरे के बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, "आज सुबह मुझे ऐतिहासिक गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में मत्था टेकने का सौभाग्य मिला, जहां श्री गुरु तेग बहादुर जी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था. दुनियाभर के लाखों लोगों की तरह श्री गुरु तेग बहादुर जी के विचार और जीवन मुझे सदैव प्रेरित करते हैं."उन्होंने आगे कहा, "गुरु साहिब की यह विशेष कृपा है कि हमारी सरकार के कार्यकाल के दौरान ही हमें श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व को मनाने का अवसर मिल रहा है. आइए, इस पावन मौके को ऐतिहासिक बनाएं और श्री गुरु तेग बहादुर जी के आदशरें को अपने जीवन में अपनाएं."
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान ध्यान रखा गया कि इस दौरान आम आदमी को किसी तरह की दिक्कत न हो. क्योंकि रविवार के दिन गुरुद्वारे में शीश नवाने जाने वालों की संख्या ज्यादा होती है. इसीलिए कहीं कोई सुरक्षा आदि की वैसी व्यवस्था नहीं हुई, जैसी आमतौर पर होती है.
गुरु तेग बहादुर ने 17वीं शताब्दी के दौरान सिख धर्म का प्रचार किया. वर्ष 1975 में उन्होंने हंसते-हंसते प्राणों का बलिदान कर दिया था. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के किसानों की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन के बीच अचानक गुरुद्वारा पहुंचकर एक संदेश दिया है. हालांकि, भाजपा (BJP) नेताओं का कहना है कि यह शुद्ध आस्था का मामला है. इसे किसी और नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए.