Chhath Puja 2021: नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ 8 नवंबर से छठ महापर्व (Chhath Puja) का आरंभ हो चुका है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ का महापर्व शुरू हो जाता है. यह चार दिन तक चलता है. छठ के दौरान महिलाएं और पुरुष लगभग 36 घंटे का व्रत रखते हैं. इसी क्रम में आज 09 नवंबर को छठ पूजा का दूसरा दिन है जिसे ‘खरना’ (Kharna) के नाम से जाना जाता है. 10 नवंबर को छठ का मुख्य व्रत और पूजन किया जाएगा. छठ में खरना का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2021 Kharna Messages: खरना और छठ पूजा की इन हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings, Quotes, GIF Photos के जरिए दें शुभकामनाएं
दरअसल, इसी दिन लोग छठ पूजा की सारी तैयारियां प्रसाद आदि बनाकर करते हैं. खरना के अगले दिन यानि इस बार 10 नवंबर को छठ का पहला अर्घ्य दिया जाएगा और इसी के साथ छठ का निर्जला व्रत शुरू होता है. आगे जानते हैं खरना का महत्व विधि और अर्घ्य देने का समय… छठ पूजा के दिन और अर्घ्य देने का समय : 09 नवंबर को यानि आज खरना किया जाएगा. छठ पूजा में नहाय-खाय 8 नवंबर को था, खरना 9 नवंबर यानि आज, 10 नवंबर को शाम का अर्घ्य और सुबह का अर्घ्य 11 नवंबर को है.
खरना का महत्व छठ महापर्व में खरना इसलिए भी विशेष है, क्योंकि इसका अर्थ शुद्धिकरण माना जाता है, इसलिए इस पवित्र पर्व में खरना का महत्व और भी बढ़ जाता है. कार्तिक, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना किया जाता है. इस दिन एक प्रकार से शुद्धिकरण की प्रक्रिया की जाती है. इस दिन प्रातः स्नान करने के पश्चात स्वच्छ कपड़े पहने जाते हैं. शाम के समय छठी मैया का प्रसाद बनाया जाता है और निर्जला व्रत आरंभ होता है. यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2021 Kharna Wishes: हैप्पी खरना और छठ पूजा! महापर्व के दूसरे दिन अपनों संग शेयर करें ये WhatsApp Stickers, Facebook Messages व GIF Images
माना जाता है कि इसी दिन से घर में छठी मैया का आगमन होता है. खरना विधि खरना के दिन सुबह नहाने के बाद लोग स्वच्छ कपड़े पहनते हैं. संध्या के समय मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर, साठी के चावलों, गुड़ व दूध से खीर का प्रसाद तैयार किया जाता है. उसके पश्चात सूर्यनारायण और छठी मैया की पूजा करके यह प्रसाद अर्पित किया जाता. नदी या सरोवर पर जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस मौके पर घर के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित किया जाता है. इसके बाद से निर्जला व्रत का आरंभ हो जाता है.