Chhath Puja 2021: क्यों करते हैं छठ-पूजा, एवं कौन हैं छठ देवी? जानें इससे जुड़ी रोचक कथाएं?
छठ पूजा 2021 (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Chhath Puja 2021: पांच दिवसीय दीपोत्सव के पश्चात चार दिन चलनेवाली छठ-पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत हो चुकी है. कार्तिक शुक्लपक्ष की चतुर्थी से छठ पर्व की शुरुआत होगी और सप्तमी की प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन होगा. छठ का मूल पर्व षष्ठी के दिन सम्पन्न होगा. मान्यता है कि छठ का विधिवत व्रत एवं पूजन करने से सूर्य देव एवं छठी मइया की कृपा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. छठ का मूल पर्व सूर्यदेव एवं और छठी मइया के इर्द गिर्द घूमती है, ऐसे में यह जानना स्वाभाविक है कि छठी मइया कौन हैं? और इस पर्व में सूर्य की उपासना क्यों की जाती है? इसके साथ ही हम छठ व्रत के महात्म्य की भी बात करेंगे. यह भी पढ़े: Chath Puja: छठ महापूजा! जानें क्या है नहाय, खाय और खरना का विधान? जानें संतान-सुख की प्राप्ति का सबसे कठिन व्रत एवं पूजा विधि !

छठ का महात्म्य

छठ पर्व के महात्म्य का पता इसी से चलता है कि यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम लंका नरेश रावण का संहार कर अयोध्या वापस आये थे. इसके पश्चात सीताजी के साथ रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन छठ का व्रत रखते हुए सूर्य की पूजा की थी. छठी मइया एवं सूर्य देव की कृपा से सीताजी को लव एवं कुश जैसे वीर पुत्रों की माँ बनने का सौभाग्य मिला. इसी तरह महाभारत काल में शादी से पूर्व कुंती ने छठ व्रत रखा, तब उन्होंने कर्ण जैसा वीर पुत्र को जन्म दिया. इसके पश्चात पाण्डवों का राजपाट छीन जाने के पश्चात कुंती ने पुनः छठ का व्रत रखा था, तब पांडवों को उनका खोया हुआ राजपाट वापस मिला. इसके अलावा कर्ण भी प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात सूर्य को अर्घ्य देते थे और इसके पश्चात वे दान देते थे.

कौन है छठ देवी?

मार्कण्डेय पुराण में उल्लेखित है कि सृष्ट‍ि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने स्वयं को छह भागों में विभाजित किया था. उनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जिसे भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री बताया जाता है. वे शिशुओं की रक्षा करती हैं. कार्तिक मास शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन इनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं देवी की पूजा की जाती है, जिसे हिंदू धर्म में ‘छठी पूजा’ कहा जाता है. इनकी प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है. मान्यता है कि छठ देवी (छठ मइया) सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. मान्यता है कि षष्ठी माता जिसका अपभ्रंश छठी है. इस व्रत को करने से संतान को लंबा एवं स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है.

छठ संदर्भित व्रत कथा

प्राचीनकाल में प्रियवंद नामक एक सर्वोपकारी राजा हुआ करते थे. उनके राज्य में सभी सुखी थे, मगर स्वयं प्रियवंद की पत्नी मालिनी की कोख सूनी होने से उन्हें निसंतान होने का दर्द कचोटता रहता था. एक दिन इस संदर्भ में महर्षि कश्यप से बात करने पर उन्होंने संतान-प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. महर्षि ने यज्ञ में आहुति देने वाला खीर मालिनी को खाने को दिया. खीर खाने से मालिनी की कोख तो भरी, लेकिन शिशु मृत ही पैदा हुआ. राजा प्रियवंद मृत पुत्र को लेकर श्मशान पहुंचे, लेकिन नवजात पुत्र की अंतिम क्रिया करने का साहस नहीं जुटाने के कारण उन्होंने आत्मदाह करने की कोशिश की, तभी उनके सामने एक दिव्य युवती प्रकट हुई. उसने राजा को बताया कि वह षष्ठी देवी हैं, मैं लोगों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं तथा उनकी रक्षा करती हूं. जो भी व्यक्ति मेरी पूजा करता है मैं उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती हूं. तुम सारी चिंता छोड़कर कार्तिक मास शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन मेरी पूजा करना, तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा नै वैसा ही किया. इसके बाद उनकी पत्नी ने एक खूबसूरत एवं स्वस्थ बालक को जन्म दिया

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.