Chhath Puja Date 2019: छठ पूजा जिसे सूर्य षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है, ये सूर्य और उनकी बहन उषा यानी छठी मैया की पूजा का त्योहार है. यह दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है. छठ पूजा प्राचीन हिंदू त्योहारों में से एक है और इसलिए हिंदू समुदाय के लिए बहुत महत्व रखता है. यह पूजा पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य देव का आभार व्यक्त करने के लिए की जाती है. छठ पूजा कार्तिक के हिंदू कैलेंडर माह में मनाया जाने वाला 4 दिन का व्रत है, जो शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है और शुक्ल सप्तमी पर समाप्त होता है, जिसमें शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की रात सबसे महत्वपूर्ण दिन होती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह आम तौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने के दौरान पड़ता है. हालांकि छठ पूजा मनाने की सही तारीख नेपाल में स्थित जनकपुरधाम के केंद्रीय निकाय द्वारा तय की जाती है, जो दुनिया के हर हिस्से में लागू है.
छठ पूजा पूरे भारत और विदेशों में मनाया जानेवाला हिंदुओं का बड़ा त्योहार है. सभी जाति और संप्रदाय के लोग सुख समृद्धि, संतान प्राप्ति के लिए सूर्य देव की पूजा करते हैं. छठ पूजा शक्ति और ऊर्जा के देवता, सूर्य देव को समर्पित है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पवित्र छठ पूजा करने से कुष्ठ रोग जैसी पुरानी बीमारी भी ठीक हो जाती है.
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छठ पूजा अनुष्ठान तिथि और मुहूर्त
नहाय खाय- 31 अक्टूबर (कार्तिक शुक्ल चतुर्थी)
लोहंडा और खरना- 1 नवंबर, शुक्रवार (कार्तिक शुक्ल पंचमी )
संध्या अर्घ्य / छठ पूजा, 2 नवंबर शनिवार (कार्तिक शुक्ल षष्ठी)
सूर्योदय /उषा अर्घ्य 3, नवंबर, रविवार (कार्तिक शुक्ल सप्तमी)
शुभ मुहूर्त:
सूर्योदय- 02 नवंबर सुबह 6:36 बजे
सूर्यास्त- 02 नवंबर संध्या 5: बजकर 44 मिनट पर
चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर, 2019 2:01 सुबह से शुरू
चतुर्थी तिथि 01 नवंबर, 2019 1:01 सुबह समाप्त
पंचमी तिथि 01 नवंबर, 2019 1:01 सुबह से शुरू
पंचमी तिथि 02 नवंबर, 2019 12:51 सुबह
षष्ठी तिथि 02 नवंबर, 2019 12:51 सुबह
षष्ठी तिथि 03 नवंबर, 2019 1:31 सुबह
सप्तमी तिथि 03 नवंबर, 1:31 सुबह
सप्तमी तिथि का समापन 04 नवंबर, सुबह 2 बजकर 56 मिनट पर
विधि:
छठ पूजा 4 दिवसीय त्योहार है और प्रत्येक दिन का अपना महत्व और अनुष्ठान होता है. पहले दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और गंगा में पवित्र स्नान करते हैं. घर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है और वे केवल एक विशेष रूप से तैयार भोजन खाते हैं जिसे 'कद्दू भट' कहा जाता है. पंचमी के दूसरे दिन, भक्त दिन के समय उपवास करते हैं. संध्या के समय धरती माता की पूजा की जाती है और व्रत तोड़ा जाता है. इस भोजन के बाद भक्त बिना पानी की एक बूंद पीए 36 घंटे के उपवास पर चले जाते हैं.
तीसरे दिन छठ पूजा के वास्तविक दिन भक्त नदी तट पर सूर्यास्त के समय सांझी अर्घ देते हैं. पूजा के समय पीले रंग के कपड़े पहनना बहुत जरुरी है. चौथे दिन की सुबह, सूर्योदय के समय परौं बिहनिया अर्घ चढ़ाया जाता है. इस दौरान पानी में खड़े रहकर उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और प्रसाद चढ़ाया जाता है. अर्घ के बाद प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है.