Uttarakhand Igas Festival: जिस तरह से पुरे देश में दिवाली मनाई जाती है और सभी लोग खुशियां मनाते है. उसी तरह से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लोग Igas का त्योहार यानी 'बूढी दिवाली' को मनाते है.'बूढी दिवाली' दिवाली के 11वें दिन बाद मनाया जानेवाला त्यौहार है और इस बार ये 12 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन उत्तराखंड के सभी सार्वजनिक सरकारी संस्थानों में छुट्टी घोषित की गई है. इगास के दिन सरकारी छुट्टी घोषित की गई है.
आखिर क्या है 'बूढी दिवाली'
मान्यताओं के अनुसार दिवाली का त्यौहार भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाया जाता है. कार्तिन कृष्ण की अमावस्या को लोगों ने भगवान राम का दीए जलाकर स्वागत किया था. लेकिन गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के वनवास से वापस लौटने की खबर 11 दिन बाद आई थी. यही कारण है कि पहाड़ में कार्तिक शुक्ल एकादशी को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है. ये भी पढ़े:Diwali 2024 in Advance Wishes: दिवाली की एडवांस में शुभकामनाएं देने के लिए प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Messages और Facebook Greetings
जिसे 'बूढ़ी दिवाली' या इगास बग्वाल भी कहते है. इस दिन गाय और बैल की पूजा की जाती है. रात को सभी पहाड़वासी इस दौरान पारंपरिक भैलो खेलकर जश्न मनाते है. इस दिन लोग अपने घरों में दीये भी जलाते है और खुशियां मनाते है.
वीर भड़ माधो सिंह भंडारी की कहानी से भी जुड़ा है ये त्यौहार
पौराणिक कहानी के मुताबिक़ गढ़वाल के वीर भड़ माधो सिंह भंडारी को तिब्बत से युद्ध करने के लिए उनके राजा ने उन्हें भेजा था. ये युद्ध दिवाली के समय हुआ और वो जब नहीं लौटे तो राजा को लगा की माधो सिंह और उनके सैनिक हार गए और युद्ध में शहीद हो गए.
उन्होंने राज्य में घोषणा करवा दी की ,' कोई भी दिवाली का त्यौहार नहीं मनाएगा. लेकिन बाद में उनकी जीत का समाचार राजा को मिला और 11वें दिन माधो सिंह अपने सैनिकों के साथ लौट आएं. इस दिन सभी के घरों में दीये जलाएं गए और धूमधाम से जश्न मनाया गया.
पटाखे नहीं मशाल जलाकर मनाते है त्यौहार
दिवाली पर जिस तरह पटाखे फोड़कर देश के बाकी हिस्सों में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है. लेकिन यहां पर तीन दिनों तक हाथ में जलती हुई मशाल लेकर इस त्यौहार को मनाया जाता है.इस बार 12 नवंबर से लेकर 15 नवंबर तक ये त्यौहार मनाया जाएगा.