नवंबर माह से उत्तर भारत में जहां मौसम में ठंडी घुलने लगती है, वहीं वायु में प्रदूषण भी बढ़ने लगता है. वर्तमान में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर पूर्व में प्रदूषण चिंताजनक स्थिति है. कमोबेस संपूर्ण भारत की भी वायु प्रदूषण की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती. इस दरम्यान संपूर्ण भारत में तय मानकों से ज्यादा वायु प्रदूषण बना रहता है. दिल्ली-एनसीआर के इर्द-गिर्द सर्दी शुरू होते ही स्मॉग, पराली एवं दिवाली में भारी मात्रा में आतिशबाजियों के कारण वायु प्रदूषित होता है, जिससे घुटन, बेचैनी और सांस लेने में दिक्कतें होती हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पीएम 10 और 2.5 दोनों का माप स्तर 500 करीब पहुंच गया है. और दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो यह स्थिति पिछले 15 दिनों से बनी हुई है. यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार स्त्री की भूख पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होती है! जानें स्त्रियों से संबंधित कुछ ऐसी ही रोचक बातें!
वायु प्रदूषण है साइलेंट किलर!
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण 80 प्रतिशत मौतें केवल दिल एवं रक्त वाहिकाओं की बीमारियों के कारण होती है. गौरतलब है कि वायु प्रदूषण बढ़ने से PM-2.5 हृदय के लिए सबसे ज्यादा घातक हो सकता है. PM-2.5 के बढ़े हुए 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मी के स्तर पर ह्रदय रोग से होने वाली मृत्यु दर 8 से 18 प्रतिशत बढ़ने की संभावना रहती है. दिल्ली के प्राइवेट क्लीनिक के चिकित्सक डॉ जितेंद्र सिंह गुसाईं के अनुसार वायु प्रदूषण किसी साइलेंट किलर की तरह कार्य करता है. ऐसे में समझदारी यही है कि सुबह अथवा शाम के समय घर से निकलने से पूर्व मास्क लगाना ना भूलें.
वायु प्रदूषण से बचें
* घर को वायु प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए किसी अच्छी क्वालिटी वाला एयर प्यूरिफायर्स का इस्तेमाल करें.
* घर के आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए वृक्षारोपण को बढ़ावा दें. संकल्प के साथ अपने हर जन्मदिन पर एक पौधा (वृक्ष वाला) अवश्य लगाएं.
* सुबह और शाम के समय घर से बाहर कम से कम बाहर निकलें.
* जॉगिंग अथवा रनिंग के बजाय हलका वॉक करें.
* घर से निकलने से पहले एन-95 या पी-100 का मास्क पहनें.
* खुली हवा में ज्यादा मेहनत वाले कार्यों से बचें.
* खांसी, कफ, छींक, सांस लेने में दिक्कत, आ रही है तो काम छोड़कर कुछ देर के लिए आराम करें.
* घर की खिड़कियां एवं मुख्य दरवाजे को ज्यादा से ज्यादा समय तक बंद रखें.
* एसी अथवा कूलर चलाने से बचें
* घर में मोमबत्ती अथवा लकड़ी न जलाएं
* घर की सफाई वैक्यूम क्लीनर के बजाय गीले कपड़े से करें.
पराली का धुआं भी है घातक
जहां तक दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण की बात है तो इसके जिम्मेदार काफी हद तक पड़ोसी राज्य भी हैं. डॉ जितेंद्र सिंह कहते हैं, अक्टूबर नवंबर माह में दिल्ली से सटे हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में धान से निकले पराली को जलाया जाता है. इससे निकले कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीले गैसें वायुमंडल में घुलती है, जो हमारे फेफड़ों और आंखों के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकती हैं. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायु में खतरनाक गैसों का स्तर निरंतर बढ़ रहा है.
जहरीली गैसें उगलती आतिशबाजियां
दिल्ली एनसीआर को बात करें तो दिवाली से पहले एयर क्वालिटी इंडेक्स अमूमन सामान्य रहता है. दीपावली के बाद उसमें 40 से 50 फीसदी वृद्धि हुई है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आतिशबाजियों से वायु में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ तमाम जहरीली गैसें वायु में घुलती है. दिवाली की आतिशबाजियों के कारण बढ़ते प्रदूषण की संभावना से लंग्स कैंसर और हृदय की नसों के ब्लॉक होने की संभावना बढ़ जाती है.