उत्तर प्रदेश में श्रमिक ट्रेनों में दो महिलाओं ने बच्चों को दिया जन्म, जच्चा-बच्चा सभी सुरक्षित
श्रमिक ट्रेन (Photo Credits- Twitter)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Padesh) के सैकड़ों प्रवासी कामगारों को लाने वाली श्रमिक ट्रेनें शनिवार को कुछ खुशखबरी लेकर आईं, तो कुछ को उम्मीद भी. दो महिला प्रवासी श्रमिकों ने शनिवार को अलग-अलग ट्रेनों में यात्रा करने के दौरान बच्चों को जन्म दिया. पहला मामला बिहार से चलने वाली विशेष ट्रेन का है. शनिवार को जैसे ही ये ट्रेन आगरा फोर्ट स्टेशन पर पहुंची, एक डॉक्टर ने रेलवे कर्मचारियों की एक टीम के साथ एक प्रवासी कर्मचारी को ट्रेन के कोच के अंदर एक बच्ची को जन्म देने में मदद की.

बिहार के छपरा जिले के मनोहरपुर गांव की ममता यादव जामनगर-मुजफ्फरपुर श्रमिक एक्सप्रेस में थी, उन्हें जब प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो यात्रियों ने रेलवे कर्मचारियों को सूचित किया. आगरा मंडल के प्रभागीय वाणिज्यिक प्रबंधक एस.के.श्रीवास्तव ने कहा, "जिस कोच में महिला यात्रा कर रही थी, उसे खाली कर दिया गया और डॉक्टरों की एक टीम ने डिलीवरी में मदद की. बच्ची और महिला दोनों स्वस्थ और सुरक्षित थीं. लिहाजा उन्हें ट्रेन से ही आगे की यात्रा करने दी गई."

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अंबेडकर नगर जिले की ओर जाने वाली एक अन्य श्रमिक ट्रेन में सुभद्रा नाम की एक 30 वर्षीय प्रवासी मजदूर ने भी एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. सुभद्रा और उनके पति दुर्गेश अंबेडकर नगर में अपने घर लौटने के लिए जालंधर में ट्रेन में सवार हुए थे.

मुरादाबाद मंडल के उत्तर रेलवे की वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक (एसडीसीएम) रेखा शर्मा ने कहा कि श्रमिक सुरक्षा ट्रेन में तैनात रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने उन्हें सूचित किया था कि ट्रेन मुरादाबाद पहुंचने से पहले ही सुभद्रा को प्रसव पीड़ा शुरू हो चुकी थी.

शर्मा ने कहा, "डॉ. पीयूष राणा के नेतृत्व में हमारी मेडिकल टीम पूरी तरह से कार्य के लिए तैयार थी. टीम ने सुझाव दिया कि वे डिलीवरी के बाद रेलवे अस्पताल में यहां रहें लेकिन युगल घर पहुंचना चाहते थे. चूंकि डॉक्टर मां और नवजात शिशु के स्वास्थ्य से संतुष्ट थे. लिहाजा उन्होंने उन्हें अपनी यात्रा जारी रखने की अनुमति दे दी."

केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विशेष श्रमिक ट्रेनों के माध्यम से हजारों प्रवासी श्रमिक उत्तर प्रदेश और बिहार में अपने घरों को लौट रहे हैं. इनमें से अधिकांश श्रमिक लॉकडाउन के बाद बेरोजगार हो गए हैं और अपने घरों को लौट रहे हैं.