सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महिला कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराते हुए सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) में प्रवेश करने का केरल सरकार (Kerala Government) को निर्देश देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दो महिला कार्यकर्ताओं की याचिका पर कोई आदेश देने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा ‘काफी भावोत्तेजक’ है और वह नहीं चाहता कि स्थिति ‘विस्फोटक’ हो जाए. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे (CJI Sharad Arvind Bobde) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘सुविधा में संतुलन’ बनाने की आवश्यकता है. मामले पर आज कोई आदेश पारित नहीं किया जाता है क्योंकि इस मामले को पहले ही सात सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई के लिए वृहद पीठ गठित करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई तक जिन महिला कार्यकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराया है उनमें बिंदु अम्मानी (Bindu Ammini) और रेहाना फातिमा (Rehana Fathima) शामिल हैं. यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मामले को 7 सदस्यीय पीठ के पास भेजा, आदेश आने तक किसी भी आयुवर्ग की महिला मंदिर में कर सकती है प्रवेश.
Sabarimala Temple matter: CJI Bobde observed, "There is a judgment (allowing women entry) in the Sabarimala temple, but it is equally true that the issue has been referred to a larger Bench. We do not want any violence".
— ANI (@ANI) December 13, 2019
गौरतलब है कि सितंबर 2018 में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी. पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि 10 से 50 वर्ष की आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को भेदभावपूर्ण और संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन करार दिया था.