नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी खुदरा कंपनी, वालमार्ट इंक ने बुधवार को देश के प्रमुख ई-टेलर फ्लिपकार्ट की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर (करीब 1 लाख 7 हजार 616 करोड़ रुपये) में खरीदी. इस सौदे के तहत वालमार्ट अधिकांश शेयरों का अधिग्रहण कर फ्लिपकार्ट समूह का सबसे बड़ा शेयरधारक बन जाएगा. देश की किसी भी ऑनलाइन कंपनी का ये अब तक का सबसे बड़ा सौदा है. फ्लिपकार्ट की बाकी की हिस्सेदारी कंपनी के वर्तमान शेयरधारकों के पास रहेगी, जिसमें बिनी बंसल, टेनसेंट होल्डिंग्स लि. टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट एलएलसी और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प शामिल हैं.
बहरहाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सहयोगी स्वदेशी जागरण मंच इस डील से खुश नहीं है. स्वदेशी जागरण मंच ने आरोप लगाया कि रिटेल बिज़नेस क्षेत्र की अमेरिकी कंपनी वालमार्ट भारत में पिछले दरवाजे से एंट्री करने का प्रयास कर रही है. स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि अमेरिकी रिटेल कंपनी देश के एफडीआई नियमों को ताक पर रखकर रिटेल सेक्टर में एंट्री कर रही है और इसे रोकने के लिए पीएम को दखल देना चाहिए. मंच ने प्रधानमंत्री को इस विषय पर पत्र लिखा है.
मंच ने आरोप लगाया है कि इससे देश के छोटे और मझोले कारोबारी और छोटे दुकानदारों को नुकसान होगा और उनके बिज़नस पर असर पड़ेगा. उन्होंने ये भी कहा है कि पीएम को रिटेल सेक्टर को विदेशी हाथों से बचाना चाहिए.
इस बीच डील होने के बाद फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक बिनी बंसल ने कहा, "हमारी यात्रा के अगले चरण के लिए वालमार्ट एक आदर्श सहयोगी है और हम खुदरा और ई-कॉमर्स में साथ मिलकर काम करेंगे." सौदे के पूरा होने के बाद दोनों भागीदार एक-दूसरे की मजबूती का लाभ उठाएंगी, लेकिन अपने अलग-ब्रांडों और परिचालन संरचना को बरकरार रखेगी,