Uttar Pradesh By-Election 2020 Result: उत्तर प्रदेश में सियासी उठापटक के बीच UP उपचुनाव के नतीजे देंगे भविष्य की सियासत के संकेत
वोटिंग (Photo Credit-IANS)

लखनऊ, 10 नवंबर: उत्तर प्रदेश में इन दिनों हुई सियासी उठापटक के बीच आ रहे उपचुनाव (By-Election) के नतीजे भविष्य की सियासत के संकेत देंगे. वर्तमान परिस्थितियों तथा समीकरणों ने उपचुनाव के नतीजों को अहम बना दिया है. राज्यसभा चुनाव में सपा (Samajwadi Party) और बसपा (Bahujan Samaj Party) के बीच जो कुछ हुआ, वह भी सियासी रूख तय करेगा. सत्ता पक्ष को लगता है कि राममंदिर के रूप में उसके पास मजबूत विकल्प पहले से मौजूद हैं. इन नतीजों से जहां कोरोना संकट के दौरान सरकार व भाजपा (Bharatiya Janata Party) संगठन की तरफ से किए गए कामों के दावों का सच सामने आएगा, वहीं विपक्ष की तरफ से सरकार के खिलाफ उठाए गए मुद्दों का असर भी दिखेगा.

उपचुनाव के पहले प्रदेश में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम हुए. मसलन, राज्यसभा चुनाव में नौ सदस्य निर्वाचित कराने की ताकत होते हुए भी भाजपा का सिर्फ आठ उम्मीदवार उतारना. बसपा का आश्चर्यजनक तरीके से एक उम्मीदवार का पर्चा भरवाना तथा सपा का बसपा विधायकों में तोड़फोड़ कराना. सात सीटों के परिणाम से ये संकेत भी सामने आएंगे कि प्रदेश के भविष्य की सियासत और सियासी पार्टियों के रिश्तों तथा उनके संभावित समीकरणों की दिशा व दशा क्या होगी. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस सियासी बिसात पर भाजपा के खिलाफ अपने मोहरे अलग-अलग ही चलने वाले हैं या कोई किसी से मिलकर खेल खेलेगा.

यह भी पढ़ें: Haryana Bypoll Results 2020: हरियाणा की बरोदा विधानसभा सीट पर मतगणना जारी, बीजेपी के योगेश्वर दत्त और कांग्रेस के इंदु राज नरवाल के बीच टक्कर

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय बताते हैं कि वैसे उपचुनाव को सत्ता पक्ष का माना जाता है. लेकिन जब 2022 में मुख्य चुनाव होने हैं, ऐसे में इस उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. यदि सत्तारूढ़ दल को सफलता मिलेगी तो उसे अपने कामकाज पर भरोसा होगा. वहीं अगर विपक्ष को सफलता मिलेगी तो कार्यकतार्ओं का मनोबल बढ़ेगा. आगे आने वाले समय में यह चुनाव नतीजे सियासी सफर की तस्वीर को साफ करेंगे.

उन्होंने बताया कि कुछ घटनाओं को लेकर विपक्ष की तरफ से ब्राह्मणों की उपेक्षा व उत्पीड़न को लेकर सरकार की घेराबंदी तथा हाथरस जैसी घटनाओं के सहारे विपक्ष, खास तौर से कांग्रेस व भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की पार्टी का सरकार को कठघरे में खड़ा करना तथा कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर उठाए गए सवालों का जनता में असर भी इन नतीजों से सामने आएगा. पता चलेगा कि कांग्रेस के सड़कों पर संघर्ष तथा राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा की यूपी में सक्रियता का जनता में कुछ असर हुआ है या नहीं.

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व वाली सपा स्वयं को स्वाभाविक रूप से मुख्य विपक्षी दल मानती है. पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर यह दावा बसपा भी करने लगी है. लेकिन इधर प्रियंका गांधी वाड्रा की कांग्रेस भी सड़क पर कूदकर अपनी दावेदारी मजबूत कर रही है. अब तीनों खुद को एक दूसरे पर बीस साबित करने के प्रयास में लगे है. इस कारण उपचुनाव के नतीजे बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.