बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार के लिए लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Elections 2019) से पहले मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. बिहार में हाल में ही एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के बाहर होने के बाद अब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एनडीए की सहयोगी अपना दल-सोनेलाल (अनुप्रिया गुट) ने आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व के प्रति नाराजगी जाहिर की है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने कहा है कि न केवल अपना दल बल्कि बीजेपी के भी कई विधायक, सांसद और मंत्री प्रदेश शासन से नाराज हैं. पटेल ने मिर्जापुर में संवाददाताओं से बातचीत में प्रदेश सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अपना दल के कोटे से केन्द्र में मंत्री बनीं अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) को उत्तर प्रदेश में वह सम्मान नहीं मिलता जिसकी वह हकदार हैं. यहां तक कि उन्हें मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जाता.
बता दें कि अनुप्रिया पटेल केंंद्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री हैं. बताया जा रहा है कि अनुप्रिया यूपी के सारे कार्यक्रम रद्द कर दिल्ली लौट आई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अनुप्रिया को देवरिया में एक मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करना था लेकिन उन्होंने कार्यक्रम रद्द कर दिया और दिल्ली चली आईं.
उधर, आशीष पटेल का यह भी कहना है कि न केवल अपना दल बल्कि खुद बीजेपी के विधायक, सांसद और यहां तक कि मंत्री भी प्रदेश ‘शासन-सरकार’ से नाराज हैं और वे केन्द्रीय नेतृत्व से मिलकर अपनी नाराजगी जाहिर करना चाहते हैं. हालांकि पटेल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी अगले चुनावों के बाद भी नरेन्द्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है लेकिन सहयोगियों को बराबर का सम्मान मिलना चाहिए.
यह पूछने पर कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की पराजय के बाद 2019 में एनडीए कमजोर हो जाएगा, उन्होंने कहा ‘‘ऐसा नहीं है. हम 2014 में भी बीजेपी के साथ थे जब उनके दुर्दिन चल रहे थे. हालांकि पटेल ने कहा कि चुनावों में हार चिंताजनक है और बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व को इस पर विचार करना चाहिए. यह भी पढ़ें- UP-दिल्ली में ISIS के नए मॉड्यूल का खुलासा, 16 जगहों पर NIA की ताबड़तोड़ छापेमारी
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एसपी, बीएसपी का भावी गठबंधन एक चुनौती है और उसका सामना करने के लिए एनडीए को अपना दल जैसे अपने घटक दलों के साथ बैठकर विचार-विमर्श करना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि लोकसभा के चुनाव में अपना दल बंटवारे के तहत कितनी सीटों की अपेक्षा करता है, पटेल ने कहा कि यह समय आने पर बताया जाएगा, लेकिन हमारी ताकत पहले से बढ़ी है. हम सम्मान के भूखे हैं.
प्रदेश सरकार से विशेष तौर पर निगम अध्यक्षों के खाली पदों पर अपना दल के लोगों को नहीं चुने जाने पर पार्टी अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी और कहा कि ‘‘सरकार क्यों इंतजार करती रहती है कि दूसरी पार्टी के लोग पिछले दरवाजे से घुस आएं और फिर उन नियुक्तियों को रद्द करना पड़े.
एजेंसी इनपुट