दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि "चुनाव आयोग राजनीति कर रहा है." उन्होंने कहा कि CEC राजीव कुमार रिटायरमेंट के बाद नौकरी की तलाश में हैं, इसलिए वे "भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं." यह टिप्पणी यमुना नदी के पानी को लेकर चुनाव आयोग द्वारा केजरीवाल को भेजे गए नोटिस के जवाब में आई है.
केजरीवाल का चुनाव आयोग को चुनौती
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केजरीवाल ने कहा, "अगर मुख्य चुनाव आयुक्त को राजनीति करनी है, तो दिल्ली की किसी सीट से चुनाव लड़ लें. हम उन्हें यमुना का पानी भी भेजेंगे." उन्होंने आगे कहा, "चुनाव आयोग ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, वह संवैधानिक संस्था के लिए शोभा नहीं देता. दिल्ली में खुलेआम गुंडागर्दी हो रही है, लेकिन आयोग को सिर्फ AAP को निशाना बनाना है." केजरीवाल ने यहां तक कहा कि वे "चुनाव आयोग को यमुना के जहरीले पानी की तीन बोतलें भेजेंगे" और चुनौती दी कि अगर CEC उसे पीकर दिखाएं, तो वे अपनी बात वापस ले लेंगे.
चुनाव आयोग के पांच सवाल और केजरीवाल की मुसीबतें
चुनाव आयोग ने केजरीवाल से 27 जनवरी को दिए गए उनके बयान पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि "हरियाणा सरकार यमुना में जहर मिला रही है." आयोग ने पांच सवालों में पूछा है:
- हरियाणा सरकार ने किस प्रकार का जहर मिलाया?
- इसकी मात्रा और प्रकृति का प्रमाण क्या है?
- जहर कहां पाया गया?
- दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों ने इसे कैसे पहचाना?
- प्रदूषित पानी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए?
आयोग ने केजरीवाल को 1 फरवरी को सुबह 11 बजे तक जवाब देने का निर्देश दिया है. इससे पहले 29 जनवरी को दी गई डेडलाइन पर केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड के CEO के पत्र को आधार बताया था, लेकिन आयोग ने इसे अपर्याप्त मानते हुए नए सवाल भेजे हैं.
यमुना जल विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद तब शुरू हुआ जब केजरीवाल ने 27 जनवरी को एक रैली में कहा, "भाजपा हरियाणा के जरिए दिल्लीवालों को जहर पिलाना चाहती है. यमुना का पानी इतना प्रदूषित है कि उसे ट्रीटमेंट प्लांट से भी साफ नहीं किया जा सकता." उन्होंने इसे "सामूहिक हत्या की साजिश" बताया. हालांकि, भाजपा और कांग्रेस ने इन दावों को "झूठ" और "चुनावी प्रोपेगैंडा" करार दिया.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- भाजपा ने केजरीवाल पर "झूठ फैलाकर जनता को भड़काने" का आरोप लगाया.
- कांग्रेस ने कहा कि "यमुना की सफाई के नाम पर AAP ने हज़ारों करोड़ बर्बाद किए, लेकिन नतीजा शून्य है."
- चुनाव आयोग ने केजरीवाल के बयान को मॉडल कोड का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की है.
क्या होगा आगे?
केजरीवाल ने साफ किया कि वे "जेल जाने से नहीं डरते," लेकिन यह टकराव दिल्ली की सियासत को नए संकट में धकेल सकता है. चुनाव आयोग का यह कदम संवैधानिक संस्थाओं और राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते तनाव को भी दर्शाता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद दिल्ली विधानसभा चुनावों (2025) से पहले 'पानी' को प्रमुख मुद्दा बना सकता है.
फिलहाल, सभी की नजरें 1 फरवरी को केजरीवाल के जवाब पर टिकी हैं. इस बीच, AAP ने यमुना के पानी के नमूनों को जांच के लिए लैब भेजने की घोषणा की है, जबकि भाजपा ने केजरीवाल के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है.