झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के तारीखों का हुआ ऐलान, गठबंधनों की स्थिति साफ नहीं
सीएम रघुवर दास, हेमंत सोरेन, पीएम मोदी और राहुल गांधी (Photo Credits-PTI/Facebook)

Jharkhand Assembly Elections 2019: झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों की शुक्रवार को घोषणा होने के साथ ही राज्य में चुनावी आचार संहिता लागू हो गई है. झारखंड की कुल 81 विधानसभा सीटों के लिए पांच चरणों में होने वाला मतदान 30 नवंबर से शुरू होगा और मतगणना 23 दिसंबर को होगी. चुनाव की घोषणा के बाद छठ पूजा (Chhath Puja) के दौरान ही अचानक रांची (Ranchi) स्थित राजनीतिक कार्यालयों में सरगर्मी बढ़ गई है. सभी दल चुनाव की घोषणा का स्वागत करते हुए पूरी तरह तैयारी होने की बात कह रहे हैं, परंतु अब तक न तो सत्ताधारी गठबंधन की स्थिति स्पष्ट है और न ही विपक्षी दलों के महागठबंधन (Mahagathbandhan) की.

इस चुनाव में मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में भारतीय जनता पाटी (BJP) लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी को लेकर 'अबकी बार 65 पार' के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरने के लिए बेताब है, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और विपक्षी दल भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. यह भी पढ़ें- झारखंड: बेहद दिलचस्प है 2014 में बीजेपी के सत्ता स्थापना की कहानी, आसानी से नहीं बने थे रघुवर दास सीएम, करना पड़ा था जुगाड़.

लोकसभा चुनाव के नतीजे से उत्साहित भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी, ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (AJSU) के साथ मिलकर चुनाव में उतरने की बात कर रही है, परंतु अब तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. भाजपा प्रवक्ता प्रतुल कुमार शाहदेव कहते हैं कि "भाजपा की तैयारी पूरी है. भाजपा और आजसू मिलकर अपनी मंजिल 65 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे."

लेकिन सूत्रों का कहना है कि भाजपा और आजसू में अभी तक सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी है. कई सीटों पर पेंच फंसा हुआ है. आजसू के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि अन्य पार्टियों के विधायकों के भाजपा में आ जाने के कारण कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष की उम्मीद बढ़ गई है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सत्ता में एक बार फिर वापसी के लिए 'बदलाव यात्रा' के जरिए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं. सोरेन और कांग्रेस मिलकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हुए हैं, परंतु अब तक वे भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का एक गठबंधन नहीं बना पाए हैं.

कांग्रेस ने चुनाव के ठीक पहले पार्टी का नेतृत्व रामेश्वर उरांव को देकर 'आदिवासी कार्ड' खेला है और इसके जरिए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की है. कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दूबे कहते हैं कि चुनाव के लिए उनकी पार्टी पूरी तरह तैयार है. यह भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: 30 नवंबर से 5 चरणों में होगी वोटिंग, 23 दिसंबर को आएंगे नतीजे.

विपक्षी दलों के महागठबंधन के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का मुख्य मुद्दा भाजपा को सत्ता से हटाना है, और महागठबंधन के लिए बाकी दलों से बात चल रही है. बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (JVM) ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. बाबूलाल मरांडी स्पष्ट कर चुके हैं कि कार्यकर्ताओं की राय जानने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचेंगे.

माना जा रहा है कि महागठबंधन में सबसे अधिक समस्या दावेदारी को लेकर है. सभी दल अधिक से अधिक सीटें चाहते हैं. राजद महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ना चाहती है, परंतु उसकी दावेदारी 12 से 14 सीटों पर है. बिहार में भाजपा के साथ सरकार चला रहे जद (यू) ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. परंतु संभावना झाविमो, जद (यू) और वामपंथी दलों के एक तीसरे मोर्चे की भी है.

उल्लेखनीय है कि झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं. वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 37 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जबकि उसकी सहयोगी आजसू पांच सीटों पर विजयी हुई थी. इसके अलावा झामुमो 19 सीटें, झाविमो आठ और कांग्रेस सात सीटें जीतने में सफल हुई थी. चुनाव के बाद हालांकि झाविमो के छह विधायकों ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था.